कौन है ओम बिरला जिनका लोकसभा स्पीकर बनना लगभग तय है, जानिए

दिल्ली: भाजपा के सांसद ओम बिरला लोकसभा के अध्यक्ष पद के लिए राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के प्रत्याशी होंगे। राजग के विभिन्न घटक दलों के 13 लोकसभा सदस्यों ने इस पद के लिये बिरला के नाम की दावेदारी के प्रस्ताव का समर्थन किया है। राजस्थान के कोटा – बूंदी संसदीय क्षेत्र से निर्वाचित हुये बिरला लगातार दूसरी बार भाजपा के टिकट पर लोकसभा सदस्य चुने गये हैं

बिरला ने मंगलवार को लोकसभा सचिवालय के समक्ष अपनी दावेदारी का नोटिस भी प्रस्तुत कर दिया। लोकसभा सचिवालय के सूत्रों ने इसकी पुष्टि करते हुये बताया कि शाम पांच बजे तक 13 सदस्यों ने बिड़ला के नाम के प्रस्तावक के रूप में नोटिस दिया है।

लोकसभा पटल कार्यालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार सिर्फ बिरला की दावेवारी का ही नोटिस मिला है। लोकसभा अध्यक्ष पद के चुनाव की प्रक्रिया के मुताबिक इस पद की दावेदारी के लिये पटल कार्यालय को नोटिस सौंपने की समय सीमा मंगलवार को दोपहर 12 बजे तक निर्धारित थी।

बिरला ने निर्धारित समय सीमा खत्म होने से पहले ही अपनी दावेदारी का नोटिस पटल कार्यालय को सौंप दिया। नामांकन की प्रक्रिया पूरी होने के बाद बिरला (आयु 57 वर्ष) का लोकसभा अध्यक्ष बनना तय माना जा रहा है क्योंकि सत्तासीन राजग के पास निचले सदन में स्पष्ट बहुमत है।

इस बीच संसदीय कार्य मंत्री प्रहलाद जोशी ने बताया कि बिरला के नाम के प्रस्तावकों में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी , रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह , गृह मंत्री अमित शाह और सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी शामिल थे। इसके अलावा बीजद , वाईएसआर कांग्रेस , नेशनल पीपुल्स पार्टी , मिजो नेशनल फ्रंट और राजग के घटक दलों शिवसेना , अकाली दल , अन्नाद्रमुक , अपना दल , जदयू तथा लोजपा के सदस्यों ने बिड़ला के नाम के प्रस्ताव वाले समर्थन पत्र पर हस्ताक्षर किये।

बिरला राजस्थान की कोटा – बूंदी संसदीय सीट से भाजपा सांसद के रूप में चुने गये हैं। वह तीन बार विधायक भी रहे हैं। उल्लेखनीय है कि लोकसभा अध्यक्ष पद के लिये बुधवार को चुनाव होगा। विपक्ष ने लोकसभा अध्यक्ष पद के लिए अभी तक किसी उम्मीदवार की घोषणा नहीं की है।

जोशी ने संसद भवन परिसर में संवाददाताओं को बताया , ‘‘ हमने बिरला की उम्मीदवारी के बारे में कांग्रेस सदस्यों से बात की थी। मैं गुलाम नबी आजाद से भी मिला था। प्रस्तावकों की सूची में कांग्रेस की ओर से अभी तक किसी सदस्य ने हस्ताक्षर नहीं किये , हालांकि उन्होंने विरोध भी नहीं किया। ’’

ओम बिरला का सियासी सफर

राजनीतिक जानकारों के अनुसार, बिरला छात्र जीवन से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़े हैं। इसके बाद वह भारतीय जनता युवा मोर्चा (भाजयुमो) से जुड़े रहे और जिला एवं राज्य स्तर पर इसकी अगुवाई की। बिरला ने 2003 में राजस्थान विधानसभा चुनावों में कोटा दक्षिण सीट पर कांग्रेस के दिग्गज शांति धारीवाल को हराकर सक्रिय राजनीति में कदम रखा। वह लगातार तीन बार विधायक रहे।

इस दौरान भाजपा में बिरला का कद लगातार मजबूत हुआ। साल 2014 के आम चुनाव में पार्टी ने उन्हें कोटा सीट से लोकसभा प्रत्याशी बनाया और उन्होंने जीत दर्ज की। साल 2019 के आम चुनाव में बिरला ने कांग्रेस के रामनारायण मीणा को 2,79,677 मतों से हराया।

दस्तावेजों के अनुसार, बिरला का जन्म 23 नवंबर 1962 को हुआ। उनके पिता श्रीकृष्ण बिरला सरकारी सेवा में थे जबकि मां शकुंतला गृहिणी थीं। 57 वर्षीय बिरला के लिए कोटा जन्मभूमि व कर्मभूमि दोनों रही है। उन्होंने स्कूली शिक्षा कोटा के गुमानपुरा राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय से की और उसके बाद बाद राजस्थान विश्वविद्यालय से बी.कॉम व एम.कॉम किया। उनकी शादी अमिता से हुई और उनके दो बेटियां अंजली, आकांक्षा हैं। अमिता पेशे से चिकित्सक हैं।

हालांकि, ऐसा नहीं है कि पहले अपेक्षाकृत किसी कम अनुभवी सांसद ने लोकसभा अध्यक्ष का पद नहीं संभाला हो। साल 1996 में तेलुगु देशम पार्टी के नेता जी एम सी बालयोगी भी जब लोकसभा अध्यक्ष बने थे तो वह दूसरी बार ही सांसद चुने गए थे। साल 2002 में बालयोगी के निधन के बाद शिवसेना नेता और पहली बार सांसद चुने गए मनोहर जोशी को लोकसभा अध्यक्ष बनाया गया था। बिरला ऊर्जा पर संसद की स्थायी समिति के सदस्य हैं। वह सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय की याचिका समिति एवं परामर्श समिति के भी सदस्य हैं।

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