काव्य ग्रंथ रामायण के आधार पर बनी फिल्म ‘आदिपुरुष’ को लेकर इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सेंसर बोर्ड और फिल्म के मेकर्स को जबरदस्त फटकार लगाई है. फिल्म की मेकिंग और आपत्तिजनक डायलॉग के खिलाफ हाई कोर्ट में वकील कुलदीप तिवारी ने याचिका दायर की थी. आज 26 जून को कोर्ट ने सुनवाई की. जज जस्टिस राजेश सिंह चौहान और जस्टिस श्रीप्रकाश सिंह की बेंच के सामने मामले की सुनवाई हुई. बेंच ने कहा कि कम से कम ‘रामायण और कुरान जैसे धार्मिक ग्रंथों को तो छोड़ दीजिए.’
फिल्म के कुछ डायलॉग को लेकर धार्मिक संगठनों ने सवाल खड़े किए थे. सोशल मीडिया पर भी खूब बवाल हुआ. बाद में मेकर्स ने डायलॉग में संशोधन की बात कही थी. फिल्म के हजारों डायलॉग मनोज मुंतशिर ने लिखे हैं. धार्मिक संगठनों ने उनसे माफी मांगने के लिए कहा. हालांकि, मनोज मुंतशिर बचाव में कह रहे हैं कि उन्होंने दादी-नानी से इसी भाषा में रामाण सुनी है. फिल्म को बैन करने की भी मांग उठी. कोर्ट में इसी मांग पर याचिका दायर की गई.
सेंसर बोर्ड क्या अपनी जिम्मेदारी नहीं समझता?
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, वरिष्ठ वकील रंजन अग्निहोत्री ने फिल्म के ईर्द-गिर्द विवादों के बारे में कोर्ट को बताया. सेंसर बोर्ड की तरफ से पेश हुए वकील अश्विनी कुमार से बेंच ने पूछा कि आखिर सेंसर बोर्ड करता क्या है? फिल्म तो समाज का दर्पण है… आने वाली पीढ़ियों को आप क्या सिखाना चाहते हैं? कोर्ट ने वकील अश्विनी कुमार से पूछा कि सेंसर बोर्ड अपनी जिम्मेदारी समझता भी है या नहीं?
रामायण, कुरान-गुरु ग्रंथ साहिब को भी बख्स दें
इलाहाबाद हाई कोर्ट में दो जजों की बेंच ने कहा सिर्फ रामायण की बात नहीं है. बात पवित्र कुरान, गुरु ग्रंथ साहिब की भी है.. कम से कम इन धार्मिक ग्रंथों को तो बख्स दीजिए. याचिका पर सुनवाई के दौरान फिल्म के मेकर्स कोर्ट में पेश नहीं हुए. इसपर बेंच ने नाराजगी जाहिर की. सेंसर बोर्ड ने इस मामले में बकौल वकील रंजना अग्निहोत्री अपना जवाब दाखिल नहीं किया है. उन्होंने ही फिल्म के विवाद के बारे में विस्तार से कोर्ट को बताया. इस मामले पर अब हाई कोर्ट में 27 जून को सुनवाई होगी.