आंदोलनों से पनपते हैं असामाजिक तत्व…किसानों के प्रदर्शन पर बोले खाप प्रमुख

दिल्ली में एक बार फिर से वहीं मंजर नजर आ रहा है जो साल 2021 में देखने को मिला था. वहीं किसान, वही मुद्दे और ठीक वैसा ही आंदोलन. इस बार जहां किसान पूरी तैयारी के साथ आंदोलन करने जा रहे हैं तो इन्हेंरोकने के लिए सरकार भी पूरी तरह से तैयार है. आंदोलन के ऐलान के बाद ही दिल्ली से सटी सीमाओं को सील कर दिया गया है. चप्पे-चप्पे पर पुलिसकर्मी तैनात किए हैं.

इस बीच खाप के अध्यक्ष दादा बलजीत सिंह मलिक का बड़ा बयान सामने आया है. उनका कहना है कि इस प्रकार के आंदोलनों में असामाजिक तत्व पनपते हैं, और यही असामाजिक तत्व बाद में बड़ी-बड़ी आपराधिक घटनाओं को अंजाम देते हैं. उन्होंने कहा कि ऐसे आंदोलनों में असामाजिक और अपराधिक तत्व घुस जाते हैं, जो आंदोलन की आड़ में गैरकानूनी काम को अंजाम देते हैं.

‘मूसेवाला की हत्या में आया हरियाणा के युवाओं का नाम’
दादा बलजीत सिंह ने पंजाबी सिंगर सिद्धू मूसेवाला हत्याकांड का उदाहरण भी दिया. उन्होंने कहा कि मूसेवाला की हत्या में हरियाणा के युवाओं का नाम आया है. माना जा रहा था कि पिछले किसान आंदोलन के दौरान ही हत्यारे संपर्क में आए थे. यही वजह है कि शक की सुई हरियाणा के युवाओं पर घूम थी.

इसके इसके साथ ही बलजीत ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर कहा कि वो किसानों की इस मांग का समर्थन करते हैं, सरकार को किसानों की मांग माननी चाहिए. इसके साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि किसान सरकार के साथ अपनी बातचीत जारी रखे, ता कि इसका कोई वाजिव हल निकल सके.

पिछले आंदोलन में भी उठे थे सवाल
आपको बता दें कि पिछले पिछली बार हुए किसान आंदोलन को लेकर कई बार ये कहा गया था कि किसान आंदोलन में कुछ असामाजिक तत्व भी शामिल हैं जो आंदोलन की आड़ में गलत काम को अंजाम दे रहे हैं. इस मामले पर काफी राजनीति भी हुई थी. किसानों ने इस बात पर नाराजगी जाहिर करते हुए ऐसी किसी भी बात से इनकार किया था.

किसानों और सरकार के बीच बातचीत बेनतीजा
गौरतलब है कि किसानों और सरकार के बीच सोमवार को बातचीत हुई थी. लेकिन ये बातचीत बेनतीजा ही रही थी. बैठक के बाद किसान नेताओं का कहना था कि सरकार टाइम बाउंड नहीं बल्कि टाइमपास चाहती है. एमएसपी और कर्जमाफी को लेकर कोई हल नहीं निकला है. जिसके बाद किसानों ने दिल्ली कूच करने का फैसला बरकरार रखा.

Related posts

Leave a Comment