चंडीगढ़: हरियाणा के करनाल जिले से विधायक और मुख्यमंत्री मनोहर लाल के निर्वाचन को चुनौती देने वाली याचिका पर हाईकोर्ट ने सीएम को नोटिस जारी करके जवाब दाखिल करने के आदेश दिए हैं। याचिका दाखिल करते हुए निर्दलीय उम्मीदवार रहे रमेश खत्री ने हाईकोर्ट को बताया कि मनोहर लाल ने जन प्रतिनिधि अधिनियम के तहत यह चुनाव नहीं लड़ा, इसलिए उनका निर्वाचन रद्द किया जाए। साथ ही अगले 6 साल तक चुनाव लड़ने पर रोक लगाने की अपील भी की गई।
याची ने दलील दी कि नियम के अनुसार चुनाव की अधिसूचना जारी होने के बाद प्रचार के दौरान प्रतिदिन के खर्च का हिसाब रखना होता है। मनोहर लाल ने जितनी रैलियां की उनमें हुए खर्च का सही तरीके से हिसाब नहीं रखा। प्रशासनिक अधिकारी से लेकर बड़े-बड़े नेताओं ने रैलियां की। इस दौरान चंडीगढ़ बीजेपी के अध्यक्ष संजय टंडन ने 500 लोगों के साथ मिल कर डोर-2-डोर कैंपेन चलाया। इतना ही नहीं करनाल के बड़े होटल में प्रेसवार्ता आयोजित की, जिसका खर्च भी नहीं दिखाया गया।
याची ने कहा कि आयोग ने खर्च की सीमा 28 लाख रखी थी, लेकिन मनोहर लाल को जिताने के लिए पैसा पानी की तरह बहाया गया। इस दौरान रोजाना खर्च होने वाली राशि का ब्योरा नहीं रखा गया जो सीधे तौर पर नियम के खिलाफ है। मनोहर लाल के प्रचार के लिए स्टार प्रचारक आए और उन्होंने बड़ी बड़ी रैलियां कीं और इस दौरान बड़ी संख्या में लोग पहुंचे और सबके हाथ में प्रचार सामग्री थी। साथ ही जितने वाहन शामिल हुए, उनमें लगने वाले डीजल व पेट्रोल तक का ब्योरा नहीं दिया गया।
फर्जी वोट से लेकर मीडिया मैनेजमेंट किया गया और लोगों के बीच मनोहर लाल की जीत तय दिखाई गई। ऐसे में याची ने हाईकोर्ट से अपील की कि मनोहर लाल के निर्वाचन को भ्रष्ट साधनों वाला मानते हुए उनके निर्वाचन को रद्द किया जाए और उनके चुनाव लड़ने पर 6 साल का प्रतिबंध लगाया जाए।