दिल्ली विधानसभा चुनाव आते ही राजनीतिक दलों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला तेज हो गया है। आज सोमवार को भाजपा नेता मनोज तिवारी ने अरविंद केजरीवाल सरकार पर 2000 करोड़ रुपये का भ्रष्टाचार करने का सनसनीखेज आरोप लगाया है। तिवारी का आरोप है कि ये भ्रष्टाचार स्कूलों के कमरे बनाने के नाम पर किया गया है। लगभग 300 वर्ग फीट वाले हर एक कमरों की लागत में लगभग 25 लाख रुपये का भुगतान किया गया है। प्रति वर्ग फीट के हिसाब से 8,800 रुपये से अधिक का भुगतान हुआ है, जबकि सामान्य घरों को बनाने में 800 रुपये से 1200 रुपये प्रति वर्ग फीटकी लागत आती है।
भाजपा के आरोप के बाद सामने आए दिल्ली के शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि भाजपा बिहार-यूपी से आए गरीबों के बच्चों को उच्चकोटि की शिक्षा से वंचित रखना चाहती है। वह इस तरह के आरोप लगाकर दिल्ली सरकार को बदनाम करना चाहती है जबकि उसे भी मालूम है कि हमने शिक्षा में बेतरीन काम किया है।
सिसोदिया ने कहा कि भाजपा की केंद्र में सरकार है। हर जांच एजेंसी उसके अधीन आती है। अगर उसे लगता है कि स्कूलों के भवनों के निर्माण में किसी भी तरह का भ्रष्टाचार हुआ है तो उसे इस मामले में एफआईआर दर्ज कर मामले की जांच करवानी चाहिए। उन्होंने कहा कि झूठ बोलने के लिए मनोज तिवारी को देश से माफी मांगनी चाहिए।
आज सोमवार को एक प्रेस कांफ्रेंस के दौरान भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी ने कहा कि अरविंद केजरीवाल अपने स्कूलों को सबसे बेहतर बता रहे थे। उनके शिक्षा मॉडल का असली चेहरा सबके सामने आ गया है। तिवारी के मुताबिक दिल्ली सरकार ने 12,748 कमरे बनाने का प्रस्ताव किया था। इनकी कुल लागत 2,892 करोड़ रुपये देने की बात तय की गई थी।
इस तरह प्रति कमरे की लागत लगभग 25 लाख रुपये की आती है जो किसी बड़े आलीशान होटल को बनाने की प्रति वर्ग फीट की दर से भी ज्यादा है। कुल तय कीमत में से 77,54,21,000 रु का भुगतान किया जा चुका है। यह कीमत केवल 312 कमरों की पेमेंट बताई गई है। आरोप है कि आधुनिकतम तकनीकी से निर्माण के बाद भी इतनी कीमत नहीं आती। जबकि आरटीआई में भवन निर्माण में शामिल सभी सामग्री और अन्य सामानों का विस्तार से जिक्र किया गया है।
भाजपा का दावा है कि इन कमरों के निर्माण के लिए किसी नई जमीन को नहीं खरीदा गया है। इस तरह जमीन की कोई लागत इसमें शामिल नहीं है। जिन 34 ठेकेदारों को इन भवनों के निर्माण का ठेका दिया गया है, उनमें भी सरकार के करीबियों के शामिल होने का आरोप लगाया गया है।
आरटीआई द्वारा प्राप्त इस जानकारी में दावा किया गया है कि इन कमरों को बनाने के लिए कड़ी-टुकड़ी सिस्टम तकनीकी का प्रयोग किया गया है जो भवन निर्माण के लिए सबसे न्यूनतम कीमत का काम माना जाता है। साथ ही भवन निर्माण की यह पद्धति स्कूलों के लिए स्वीकार नहीं होती क्योंकि यह भूकम्प रोधी नहीं होती। इस तरह बच्चों के जीवन के साथ भी खिलवाड़ किया गया है। भाजपा नेता मनोज तिवारी ने कहा कि वह इस घोटाले की जांच के लिए लोकपाल के पास अपील करेंगे।
मनीष सिसोदिया ने दिया था चैलेंज
इसके एक दिन पूर्व रविवार को मनीष सिसोदिया ने जेपी नड्डा और विजय गोयल को भाजपा शासित राज्यों के शिक्षा स्तर की तुलना दिल्ली के शिक्षा स्तर से करने का चैलेंज किया था। उन्होंने कहा था कि भाजपा नेता दिल्ली सरकार की शिक्षा व्यवस्था का मजाक बना रहे हैं।
लेकिन वे उन्हें चैलेंज देते हैं कि वे किसी भी भाजपा शासित राज्य के दस सबसे अच्छे स्कूलों का चयन कर लें। दिल्ली सरकार अपने 10 स्कूलों को चुन लेती है। दोनों दल एक दूसरे के राज्यों के स्कूलों का मुआयना करते हैं और उसके बाद बहस करते हैं कि किस राज्य की शिक्षा की स्थिति बेहतर है।
वहीं, दिल्ली भाजपा नेता विजय गोयल ने मनीष सिसोदिया के इस चैलेंज को स्वीकार कर लिया है। उन्होंने कहा है कि मनीष सिसोदिया उनके साथ कुछ उन स्कूलों का दौरा करें। उसके बाद सही स्थिति सामने आ जाएगी। गोयल ने कहा कि अगर दिल्ली का शिक्षा मॉडल इतना ही सही है तो उसे बताना चाहिए कि फिर दिल्ली के लाखों छात्र स्कूलों से वंचित क्यों हैं और उन्हें स्कूलों में प्रवेश देने से क्यों रोका जा रहा है।