बडा झटका: 2019-20 में 5% पर पहुँची विकास दर, बीते 10 साल में सबसे कम स्तर पर GDP

दिल्ली: बजट से पहले केंद्र सरकार ने वित्त वर्ष 2019-20 की विकास दर का पहला अनुमान जारी कर दिया है। इसके मुताबिक चालू वित्त वर्ष में जीडीपी पांच फीसदी रहेगी, जो पिछले एक दशक में सबसे कम है। सरकार बजट के बाद फरवरी महीने में वित्त वर्ष का दूसरा अनुमान जारी करेगी।

2018-19 में थी 6.8 फीसदी
2018-19 में विकास दर 6.8 फीसदी रही थी। इस हिसाब से देखा जाए तो फिर इसमें करीब 1.8 फीसदी की गिरावट है। विश्व की सभी रेटिंग एजेंसियों और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने भी भारत के जीडीपी अनुमान को काफी घटा दिया है। मूडीज ने मार्च 2020 में समाप्त हो रहे वित्त वर्ष के लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का अनुमान 5.8 फीसदी से घटाकर 4.9 फीसदी कर दिया है। फिच ने वित्त वर्ष 2019-20 के लिए विकास दर के 4.6 फीसदी रहने की संभावना जताई है। वहीं 2020-21 के लिए 5.6 फीसदी और 2021-22 के लिए 6.5 फीसदी का अनुमान जताया है।

‘इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च ने वित्त वर्ष 20 के लिए अपने विकास अनुमान को संशोधित करके 5.6 फीसदी कर दिय है। यह उसके द्वारा चौथा संशोधन है और एक महीने पहले ही वित्त वर्ष 20 के लिए जीडीपी अनुमान घटाकर 6.1 फीसदी किया गया था।’

एजेंसी ने कहा, ‘ऐसा करना जरूरी हो गया था, क्योंकि डाटा से पता चलता है कि दूसरी तिमाही में 5 फीसदी से ज्यादा का पिछला अनुमान हासिल होने की उम्मीद कम ही है। नए अनुमान से संकेत मिलते हैं कि वित्त वर्ष 20 की दूसरी तिमाही में विकास दर 4.7 फीसदी रह सकती है।’ दूसरी तिमाही के जीडीपी के आंकड़े शुक्रवार को जारी होने का अनुमान है।

जुलाई-सितंबर, 2019 की तिमाही के दौरान भारत की आर्थिक विकास दर घटकर महज 4.5 फीसदी रह गई, जो लगभग साढ़े छह साल का निचला स्तर है। यह लगातार छठी तिमाही है जब जीडीपी में सुस्ती दर्ज की गई है। इससे पहले जनवरी-मार्च, 2013 तिमाही में जीडीपी विकास दर 4.3 फीसदी रही थी, वहीं एक साल पहले की समान अवधि यानी जुलाई-सितंबर, 2018 तिमाही में यह सात फीसदी रही थी। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में विकास दर पांच फीसदी रही थी।

आरबीआई ने भी घटाया था जीडीपी का अनुमान
इससे पहले पांच दिसंबर 2019 को भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने भी जीडीपी का अनुमान घटाया था। केंद्रीय बैंक के अनुसार, साल 2019-20 के दौरान जीडीपी में और गिरावट आएगी और यह 6.1 फीसदी से गिरकर पांच फीसदी पर आ सकती है। इससे अर्थव्यवस्था को झटका लगा है।

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