हरियाणा के नूंह में पिछले सोमवार को शोभा यात्रा के दौरान पत्थरबाजी और फायरिंग के चलते तनाव फैल गया. इस दौरान उपद्रवियों ने तीन दर्जन से अधिक वाहनों को आग के हवाले कर दिया. हिंसा की चपेट में आने से अबतक दो होमगार्ड समेत सात लोगों की मौत हो चुकी है. हिंसा के तीन दिन बीत जाने के बाद भी लोगों की जिंदगी पटरी पर नहीं लौटी है. ऐसे में सवाल उठता है कि नूंह में हुई हिंसा के पीछे आखिर जिम्मेदार कौन है? नूंह में जिस तरह से तनाव की स्थिति फैली उसके लिए जांच एजेंसियों और हरियाणा पुलिस पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं. ऐसे में इस मामले में जिन लोगों का नाम सामने आया है, उनकी जांच और कार्रवाई की जरूरत है.
नूंह हिंसा की साजिश के पीछे अब तक तीन लोगों का नाम सामने आ चुका है. इसमें मोनू मानेसर, बिट्टू बजरंगी और मम्मन खान का नाम शामिल है. ये सभी इसलिए सवालों के घेरे में हैं क्योंकि हिंसा के कुछ दिन पहले ही इन्होंने सोशल मीडिया पर वीडियो पोस्ट किए थे. बता दें कि हिंसा के लिए इन वीडियो को जिम्मेदार माना जा रहा है. सोशल मीडिया में जिस तरह से भड़काऊ वीडियो डाले गए उसके बाद भी जांच एजेंसियां और पुलिस एक्टिव नहीं हुईं.
ऐसा माना जा रहा है कि पुलिस की इसी सख्ती का गुस्सा कहीं ना कहीं नूंह हिंसा के दौरान निकला गया है. हमले के पीछे उपद्रवियों की सोची समझी साजिश नजर आती है, जिसके दम पर साइबर क्राइम थाने में मौजूद सबूतों को मिटाया जा सके. मेवात को मिनी जामताड़ा भी कहा जाता है और यहां पर करोड़ों रुपए के ऑनलाइन और टेलीफोनिक फ्रॉड रोजाना ही साइबर अपराधी अपने खास अंदाज में करते रहते हैं.
- अप्रैल के महीने में नूंह में साइबर जालसाजों के ठिकानों पर एक साथ की गई रेड के बाद जांच में देश भर में लगभग 100 करोड़ रुपये की साइबर ठगी का खुलासा हुआ था.
- ये महाठग फर्जी सिम और आधार कार्ड के जरिए देशभर के लोगों से ठगी करते और फर्जी बनाए बैंक खातों में पैसे डलवा देते थी ताकि पुलिस इन तक ना पहुंच सके. इस छापेमारी ने नूंह में तैयार साइबर अंडरवर्ल्ड की कमर तोड़कर रख दी थी.
- इससे तिलमिलाया माफिया बदले की फिराक में था और ऐसे में हो सकता है कि शोभा यात्रा उसके लिए एक अच्छा मौका साबित हुआ हो. अब सरकार इस एंगल से भी जांच कर रही है.
- इस छापेमारी में 125 आरोपियों को पकड़ा गया था. इनके ऊपर फोन और कंप्यूटर के जरिए लोगों से ठगी करने का आरोप लगे थे. इन अपराधियों को पकड़ने के लिए पुलिस की 102 टीमें बनाई गईं. जिसमें करीब 5000 पुलिसकर्मी शामिल थे. मेवात के 14 गांवों में 300 जगह रेड की गई.
- छापेमारी के दौरान बड़ी संख्या में एटीएम कार्ड, स्मार्टफोन, लैपटॉप, आधारकार्ड, एटीएम स्वैप मशीन मिले थे. इन जालसाजों द्वारा हरियाणा से राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और यूपी से लेकर अंडमान निकोबार तक लोगों को निशाना बनाया जा चुका है.
- इनके पकड़े जाने से देशभर में साइबर ठगी के लगभग 28,000 केस ट्रेस हुए थे. 27/28 अप्रैल 2023 की मध्यरात्रि को 5000 पुलिसकर्मियों की 102 टीमों ने जिले के 14 गांवों में एक साथ छापेमारी की थी. इस दौरान करीब 125 संदिग्ध हैकर्स को हिरासत में लिया गया था.
- इनमें से 66 आरोपियों की पहचान कर उन्हें गिरफ्तार किया गया. सभी को अदालत में पेश कर 7 से 11 दिन की रिमांड पर लिया गया था. साइबर अपराधियों से पूछताछ के लिए पूरे हरियाणा से 40 साइबर विशेषज्ञों की एक टीम तैयार की गई थी.
- इस प्रकार साइबर विशेषज्ञों की मदद से पकड़े गए साइबर अपराधियों से पूछताछ की गई और पूरे फ्रॉड के साथ-साथ फर्जी सिम और बैंक खातों की पूरी डिटेल हासिल की गई.
- छापे के दौरान जब्त किए गए मोबाइल फोन और सिम कार्ड की भी तकनीकी रूप से जांच की गई और टीएसपी/आईएसपी, बैंक, एनपीसीआई, यूपीआई इंटरमीडियरीज, यूआईडीएआई, डीओटी, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक, वॉट्सऐप, ओएलएक्स आदि से संबंधित जानकारी भी मांगी गई.
- जांच में पता चला कि इन साइबर ठगों ने अब तक देश भर के 35 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से करीब 28000 भोले-भाले लोगों से 100 करोड़ रुपये से अधिक की ठगी को अंजाम दिया है. पकडे़ गए इन साइबर जालसाजों के खिलाफ देशभर में पहले से ही 1346 प्राथमिकी दर्ज थी.
- जांच में निजी और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के 219 खातों और 140 यूपीआई खातों के बारे में भी जानकारी सामने आई, जिनका इस्तेमाल साइबर धोखाधड़ी करने के लिए किया जा रहा था. ये बैंक खाते मुख्य रूप से ऑनलाइन सक्रिय पाए गए.
- इसके अलावा, टेलीकॉम कंपनियों के हरियाणा, पश्चिम बंगाल, असम, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, बिहार, ओडिशा, मध्य प्रदेश, दिल्ली, तमिलनाडु, पंजाब, नॉर्थ ईस्ट, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक सर्किल से एक्टिवेट 347 सिम कार्ड का भी पता चला. जिनका उपयोग ये ठग साइबर क्राइम के लिए कर रहे थे. जांच के दौरान फर्जी सिम और बैंक खातों का स्रोत मुख्य रूप से राजस्थान के भरतपुर जिले से जुड़ा पाया गया है.
- पीड़ितों को वीडियो चैट पर आने का लालच देते, जहां वे पीड़ितों की आपत्तिजनक स्थिति में स्क्रीन रिकॉर्डिंग करते थे और फिर उनसे बड़ी रकम वसूलते थे. इस दौरान नूंह में 320 टारगेट लोकेशन पर रेड की गई थी.