दिल्ली. कृषि कानून (Agricultural Law) को लेकर 16 दिन से सड़क पर डटे हुए किसानों (Farmer) और केंद्र सरकार (Central Government) के बीच जंग और लंबी होती दिख रही है. केंद्र सरकार ने जहां कृषि कानून को रद्द करने से इनकार कर दिया है, वहीं किसान तीनों ही कृषि कानून को वापस लेने की मांग पर अड़े हुए हैं. केंद्र सरकार के रुख को देखते हुए किसानों ने भी आंदोलन को और तेज करने का ऐलान कर दिया है. किसानों के सख्त रवैये को देखते हुए बीजेपी भी अब आरपार की लड़ाई के मूड में आ गई है. बीजेपी आज से देश के अलग-अलग शहरों में 700 प्रेस कॉन्फ्रेंस और चौपाल का आयोजन करेगी.
इस चौपाल के जरिए किसानों को कृषि कानून के फायदों के बारे में बताया जाएगा और किसानों को ये समझाने की कोशिश होगी कि नया कृषि कानून किस तरह से उनके लिए फायदेमंद साबित होगा. बीजेपी अपने इस अभियान के दौरान देश में सौ से अधिक जगहों पर सम्मेलन करेगी, जबकि हर जिले में प्रेस कॉन्फ्रेंस की जाएगी. गौरतलब है कि कृषि कानून को लेकर हाल में एक बुकलेट भी जारी की गई है, जिसमें तीनों कृषि कानूनों से होने वाले फायदे के बारे में बताया गया है. इसके साथ ही कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल भी प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए कृषि कानून के फायदे गिना रहे हैं, जिससे किसान अपना आंदोलन खत्म कर दें.
बता दें कि कृषि बिल का विरोध कर रहे किसानों ने आंदोलन और तेज करने का ऐलान कर दिया है. किसानों की ओर से बताया गया है कि वह 12 दिसंबर से दिल्ली-जयपुर और दिल्ली-आगरा हाईवे पर चक्का जाम करेंगे. इसके साथ ही किसानों का आंदोलन 14 दिन से देशभर में और तेज कर दिया जाएगा. इसके बावजूद अगर सरकार ने किसानों की मांगों पर कोई फैसला नहीं लिया तो बीजेपी के मंत्रियों और नेताओं का घेराव किया जाएगा. किसानों का कहना है कि जिन मांगों को लेकर पिछले 15 दिन से वह दिल्ली के बॉर्डर पर डटे हुए हैं, उन्हें वह पूरा करवाकर ही वहां से जाएंगे.