मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान के बाद से राहुल गांधी और प्रियंका गांधी कांग्रेस के पक्ष में माहौल बनाने में जुट गए हैं. राहुल ने शहडोल जिले के ब्यौहारी में जनसभा कर विंध्य इलाके को साधने के कवायद की तो प्रियंका गांधी आज यानि गुरुवार को मंडला से महाकौशल इलाके से समीकरण को एक बार फिर से सेट करने के लिए उतर रही हैं. प्रियंका के साथ कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ भी मंडल में जनसभा करके चुनावी अभियान को धार देंगे.
प्रियंका गांधी ने चार महीने पहले महाकौशल से ही मध्य प्रदेश के चुनावी अभियान का आगाज किया था और अब दोबारे से चुनावी ऐलान के बाद पहुंच रही हैं. 4 अक्टूबर को प्रियंका ने जबलपुर से चुनावी शंखनाद किया था और अब मंडला में रैली को संबोधित करेंगी. 2018 में कांग्रेस महाकौशल के इलाके में काफी बेहतर प्रदर्शन करने में कामयाब रही थी. यही वजह है कि कांग्रेस का पूरा फोकस महाकौशल के इलाके में अपने दबदबे को बनाए रखने और पिछले चुनाव के नतीजे को दोहराने की रणनीति है.
कांग्रेस का मजबूत गढ़ महाकौशल
साल 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस महाकौशल इलाके की सीटों पर बीजेपी को करारी मात दिया था, जिसके दम मध्य प्रदेश की सत्ता में वापसी करने में कामयाब रही थी. मध्य प्रदेश की कुल 230 विधानसभा सीटों में से महाकौशल इलाके में 38 सीटें आती हैं. 2018 में इन 38 सीटों में से कांग्रेस 24 सीटें जीतने में कामयाब रही थी और बीजेपी महज 13 सीटें ही जीत सकी थी जबकि 1 सीट पर निर्दलीय ने कब्जा जमाया था. 2013 में बीजेपी का दबदबा था, लेकिन कमलनाथ ने उसमें सेंधमारी करने में कामयाब रहे थे.
हालांकि, 2020 में ज्योतिरादित्य सिंधिया के बगावत के चलते कमलनाथ की कुर्सी चली गई थी, लेकिन अब दोबार से उसे हासिल करने के लिए पूरे दमखम के साथ जुटे हैं. ऐसे में 2023 के चुनाव में महाकौशल में अपने पुराने प्रदर्शन को बरकरार रखने के साथ-साथ ज्यादा से ज्यादा सीटें हासिल करने का टारगेट कांग्रेस ने सेट कर रहा था, जिसके चलते प्रियंका गांधी का महाकौशल इलाके का दौरा महत्वपूर्ण माना जा रहा है.
महाकौशल का सियासी समीकरण
महाकौशल क्षेत्र में आठ जिले की 38 विधानसभा सीटें आती हैं. जबलपुर, कटनी, सिवनी, छिंदवाड़ा, मंडला, नरसिंहपुर, डिंडौरी और बालाघाट जिले शामिल हैं. 2013 में बीजेपी के पास 24 सीटें थी और कांग्रेस 13 पर थी जबकि उस समय भी एक सीट निर्दलीय को मिली थी. लेकिन, 2018 में महाकौशल का पूरा समीकरण ही बदल गया था. कांग्रेस ने बीजेपी के कब्जे वाली तमाम सीटें अपने नाम कर ली थी. प्रियंका मंडला में सभा के जरिए आसपास जिले की सीटों को साधने की कवायद करती हुई नजर आएंगी.
आदिवासी वोटों को साधने का प्लान
कांग्रेस का पूरा फोकस मध्य प्रदेश में आदिवासी समुदाय के वोटों पर है. राज्य में 21 फीसदी से ज्यादा आदिवासी मतदाता है, जो किसी भी दल का खेल बनाने और बिगाड़ने की ताकत रखते हैं. महाकौशल के इलाके में आदिवासी मददाता निर्णायक भूमिका में है. 38 सीटों में से आदिवासियों के लिए 13 सीटें आरक्षित, जिनमें से 11 पर कांग्रेस और सिर्फ 2 सीटों पर बीजेपी विधायक हैं. इससे एक बात साफ है कि आदिवासियों की बीजेपी से नाराजगी अहम वज रही है. यही कारण है कि इस बार बीजेपी भी आदिवासी वोटरों को लुभाने की पूरी ताकत लगा रखी है तो कांग्रेस ने किसी तरह का कोई कोर कसर नहीं छोड़ रही है.
प्रियंका गांधी की जबलपुर से चुनावी संखनाद करना रहा है तो फिर राहुल गांधी का मालवा के कालापीपल या विंध्य क्षेत्र से शहडोल जिले के ब्यौहारी की रैली. इसके अलावा प्रियंका गांधी की मंडला, जिसके जरिए कांग्रेस की नजर आदिवासी वोटों पर है. राहुल ने ब्योहारी में जातिगत जनगणना की मांग उठा चुके हैं और इस आधार पर आदिवासी, अन्य कमजोर वर्ग के हिस्सेदारी की बात कर रहे हैं. इतना ही नहीं उन्होंने आदिवासी समुदाय के मुद्दे उठाए थे.
राहुल गांधी ने बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी का हवाला देते हुए मध्य प्रदेश को संघ और बीजेपी की सच्ची लेबोरेटरी बताया. उन्होने कहा कि यहां बीजेपी नेता आदिवासियों के ऊपर पेशाब करते हैं, क्या यही प्रयोगशाला है. इसके अलावा राहुल ने घोषणा की कि कांग्रेस के आने पर तेंदूपत्ता की मजदूरी बढ़ाकर 4 हजार की जाएगी. अब प्रियंका गांधी मंडला में उतर रही है, जो आदिवासी बहुल माना जाता है, जिसके चलते वो आदिवासी को लेकर कोई बड़ा वादा कर सकती हैं. देखना है कि कांग्रेस महाकौशल इलाके में अपने पुराने प्रदर्शन को दोहरा पाती हैं या नहीं?.