प्रयागराज में डेंगू पेसेंट को खराब प्लेटलेट्स चढाने वाले अस्पताल को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने बड़ी राहत दी है. प्रयागराज विकास प्राधिकरण के नोटिस को हाईकोर्ट ने विधि विरुद्ध बताते हुए स्टे आर्डर जारी किया है. साथ ही इस मामले में दूसरे पक्ष की बात सुनने का अवसर देने का भी निर्देश दिया है. इस आदेश के बाद अब अस्पताल की बिल्डिंग गिराने का खतरा टल गया है. प्रयागराज विकास प्राधिकरण 19 अक्टूबर को ही अस्पताल को बिल्डिंग गिराने का नोटिस जारी किया था. इसके विरोध में अस्पताल मालिक की जगह भवन मालिक ने कोर्ट में अपील की थी.
बता दें कि एक डेंगू पेसेंट को प्लेटलेट्स की जगह मुसम्मी का जूस चढ़ाने की खबर से प्रकाश में आने के बाद प्रयागराज के सीएमओ ने अस्पताल को सील कर दिया था. इसके बाद प्रयागराज विकास प्राधिकरण ने अस्पताल को गिराने का नोटिस थमा दिया. 19 अक्टूबर को दिए गए इस नोटिस को जारी होने की तारीख 11 जनवरी बताई जा रही है. इसके विरोध में भवन मालिक मालती देवी ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में दाखिल अपनी याचिका की. बताया कि जिस भवन में अस्पताल संचालित हो रहा था, उसके मालिक वह हैं और उन्होंने अस्पताल मालिक को किराए पर दिया था. उन्होंने आरोप लगाया गया कि प्रयागराज विकास प्राधिकरण ने चुपचाप 11 जनवरी को नोटिस जारी तो कर दिया, लेकिन प्राधिकरण के अधिकारी छह महीने तक इस नोटिस को दबाए रहे और सीधे उनके भवन को गिराने का आदेश जारी कर दिया है. इस दलील पर हाईकोर्ट ने प्रयागराज विकास प्राधिकरण के नोटिस पर स्टे कर दिया है.
किराए के भवन में संचालित हो रहा था अस्पताल
भवन मालिक मालती देवी ने हाईकोर्ट को बताया कि उन्होंने पीपलगांव में अपने रहने के लिए भवन बनवाया था, लेकिन बाद में इसके एक हिस्से को ग्लोबल हास्पिटल के मालिक श्याम नारायण को किराए पर दे दिया. उन्होंने बताया कि पहली अस्पताल सील होने के बाद उन्हें 19 अक्टूबर को अस्पताल गिराने का नोटिस मिला है. यह नोटिस भी बिना उनका पक्ष जाने जारी होने के छह महीने बाद दिया गया है. उन्होंने सवाल उठाया कि आखिर नोटिस जारी करने से पहले उनका पक्ष क्यों नहीं सुना गया? इसके अलावा उन्होंने यह भी पूछा कि जब नोटिस जनवरी में ही जारी हो गया तो उन्हें अक्टूबर को क्यों रिसीव कराया गया?
जवाब दाखिल करने का मिलेगा अवसर
भवन मालिक ने अपनी याचिका में कहा कि वह 11 जनवरी को जारी नोटिस का विरोध करती हैं. साथ ही वह अपने मकान का नक्सा भी पीडीए को देना चाहती हैं, जिसमें वह दावा कर सकें कि उन्होंने नियम के मुताबिक ही निर्माण कराया है. साथ ही यदि उन्होंने कहीं गलत निर्माण कराया है तो इसका नियमानुसार जुर्माना भी देने को तैयार हैं. कोर्ट ने उनकी अपील को स्वीकार करते हुए पीडीए को उन्हें जवाब दाखिल करने का अवसर देने को कहा है. साथ ही इस मामले में विधि सम्मत ही कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं.
छुट्टियों की वजह से चैंबर में हुई सुनवाई
दिवाली की छुट्टियों की वजह से इस मामले की सुनवाई हाईकोर्ट के न्यायाधीश के चैंबर में हुई. इसमें जस्टिस सूर्य प्रकाश केसरवानी और जस्टिस विकास बुधवार ने नोटिस पर आपतति दाखिल करने के लिए भवन मालिक को दो सप्ताह का वक्त दिया है.