लोकल सर्किल सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म कम्युनिटी के एक सर्वे में सामने आया है कि पिछले कुछ हफ्तों में दिल्ली-एनसीआर के 80 प्रतिशत परिवारों में कम से कम एक सदस्य वायु प्रदूषण से संबंधित बीमारियों से ग्रसित हैं. दिल्ली-एनसीआर में हवा की गुणवत्ता वर्तमान में बहुत खराब और गंभीर श्रेणियों के बीच मंडरा रही है. यह जहरीली हवा स्वास्थ्य के लिए कई तरह के खतरे पैदा कर रही है. सर्वेक्षण में कहा गया है कि लगभग 18 प्रतिशत लोगों ने संकेत दिया कि वह या उनके परिवार के सदस्य पहले ही डॉक्टर के पास जा चुके हैं. वहीं लगभग 22 प्रतिशत ने कहा कि उनके परिवार में एक या अधिक सदस्यों ने पहले ही डॉक्टर से बात कर ली थी.
सर्वे के दौरान 69 प्रतिशत ने कहा कि वे गले में खराश या खांसी का अनुभव कर रहे थे. 56 फीसदी ने आंखों में जलन की शिकायत की. 50 प्रतिशत नाक बहना, 44 प्रतिशत सांस लेने में कठिनाई/अस्थमा से पीड़ित थे. 44 प्रतिशत सिरदर्द से पीड़ित थे, हीं 44 फीसदी को नींद न आने की समस्या हो रही थी और 31 प्रतिशत को चिंता या ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई थी
पराली जलाने से बढ़ा प्रदूषण
लोकलसर्किल के संस्थापक सचिन टापरिया ने कहा कि दिल्ली-एनसीआर में पांच में से चार परिवारों में कुछ सदस्य प्रदूषण संबंधी समस्याओं का सामना कर रहे हैं. पिछले पांच दिनों में स्थिति और खराब हो गई है.उन्होंने कहा कि फाइन पार्टिकुलेट मैटर (पीएम2.5) के संपर्क में, जो मानव वायु की तुलना में 25 से 100 गुना पतला है, इसके कई अल्पकालिक और दीर्घकालिक स्वास्थ्य प्रभाव हैं. सफर के आंकड़ों के मुताबिक पराली जलाने से दिल्ली के पीएम-2.5 प्रदूषण में 34 फीसदी का योगदान है.
फेफड़े और दिल कमजोर
टापरिया ने कहा कि पीएम-2.5 प्रदूषण की वजह से बच्चे, बुजुर्ग, अस्थमा और हृदय, जैसी स्वास्थ्य समस्याओं से पीड़ित लोग अतिसंवेदनशील होते हैं. पूर्व डॉक्टर रणदीप गुलेरिया ने चेतावनी देते हुए कहा कि बच्चों, बुजुर्गों और जिनके फेफड़े और दिल कमजोर हैं, उन्हें ऐसी जगहों पर नहीं जाना चाहिए जहां प्रदूषण हो. अगर जाना भी है, तो बिना मास्क के ना जाएं. एम्स निदेशक ने कहा कि वायु प्रदूषण एक साइलेंट किलर है.
फेफड़ों के कैंसर का खतरा बढ़ा
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की एक रिपोर्ट के मुताबिक वायु प्रदूषण से लंग्स में संक्रमण, हृदय रोग और फेफड़ों के कैंसर का खतरा बढ़ जाता है. डॉक्टरों ने दिल्ली-एनसीआर में चिकित्सा आपातकाल की चेतावनी दी है क्योंकि छाती में संक्रमण और निमोनिया के मामलों में अचानक वृद्धि देखी गई है.