दिल्ली: कोरोना से मरने वाले सभी लोगों के परिवार को 4 लाख रुपये मुआवजा देने में केंद्र ने असमर्थता जताई है. सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे में केंद्र ने बताया है कि इस तरह का भुगतान राज्यों के पास उपलब्ध स्टेट डिजास्टर रिस्पॉन्स फंड (SDRF) से होता है. अगर राज्यों को हर मृत्यु के लिए 4 लाख रुपए के भुगतान का निर्देश दिया गया तो उनका पूरा फंड खत्म हो जाएगा. इससे कोरोना से निपटने की तैयारी के साथ ही बाढ़, चक्रवात जैसी आपदाओं से भी लड़ पाना असंभव हो जाएगा.
केंद्र ने कहा है कि इस वित्त वर्ष में राज्यों को 22,184 करोड़ रुपए SDRF में दिए गए. इसका एक बड़ा हिस्सा कोरोना से लड़ने में खर्च हो रहा है. केंद्र ने 1.75 लाख करोड़ का प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज घोषित किया है. इसमें गरीबों को मुफ्त राशन के अलावा वृद्ध, दिव्यांग, असमर्थ महिलाओं को सीधे पैसे देने, 22.12 लाख फ्रंटलाइन कोरोना वर्कर्स को 50 लाख रुपए का इंश्योरेंस कवर देने जैसी कई बातें शामिल हैं. इस समय केंद्र और राज्यों को राजस्व की कम प्राप्ति हो रही है. ऐसे में करना से हुई 3 लाख 85 हज़ार मौतों के लिए 4-4 लाख रुपए का भुगतान करना आर्थिक रूप से बहुत कठिन है. राज्यों को इसके लिए बाध्य किया गया तो आपदा प्रबंधन के दूसरे अनिवार्य कार्य प्रभावित होंगे.
11 जून को हुई सुनवाई में केंद्र ने कोर्ट को बताया था कि मुआवजे की मांग पर विचार चल रहा है. कोर्ट ने सरकार को जवाब के लिए 10 दिन का समय देते हुए 21 जून को अगली सुनवाई की बात कही थी. अब सुनवाई से पहले दाखिल हलफनामे में केंद्र ने बताया है कि इस मांग को पूरा नहीं किया जा सकता. केंद्र ने यह भी कहा है कि डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट की धारा 12 के तहत राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) को यह अधिकार है कि वह राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (SDMA) को मुआवजे के भुगतान पर निर्देश दे. सुप्रीम कोर्ट कई पुराने फैसलों में यह कह चुका है कि वह NDMA के इस अधिकार में दखल नहीं देगा. इस बार भी ऐसा ही किया जाए.
क्या है मामला?
सुप्रीम कोर्ट में 2 वकीलों गौरव कुमार बंसल और रीपक कंसल की तरफ से याचिका दाखिल की गई है. कहा गया है कि नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट की धारा 12 में आपदा से मरने वाले लोगों के लिए सरकारी मुआवजे का प्रावधान है. पिछले साल केंद्र ने सभी राज्यों को कोरोना से मरने वाले लोगों को 4 लाख रुपए मुआवजा देने के लिए कहा था. इस साल ऐसा नहीं किया गया है. याचिकाकर्ताओं ने यह भी कहा है कि हस्पताल से मृतकों को सीधा अंतिम संस्कार के लिए ले जाया जा रहा है. न उनका पोस्टमॉर्टम होता है, न डेथ सर्टिफिकेट में लिखा जाता है कि मृत्यु का कारण कोरोना था. ऐसे में अगर मुआवजे की योजना शुरू भी होती है तो लोग उसका लाभ नहीं ले पाएंगे. सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अशोक भूषण और एम आर शाह की बेंच ने मामले पर केंद्र सरकार को 24 मई को नोटिस जारी किया था.