केंद्र सरकार अपना मुँह छुपाने और शर्मिंदगी से बचने के हथकंडे ढूंढ रही है: प्रो.अरुण कुमार, अर्थशास्त्री

गुरुग्राम: रविवार को अखिल भारतीय प्रोफेशनल कांग्रेस के गुड़गांव सम्भाग द्वारा ” नोटबंदी व GST के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था के हालातों के तथ्यों पर आधारित संवाद का सफल आयोजन किया गया। जिसमे अखिल भारतीय प्रोफेशनल कांग्रेस की अध्यक्ष कनुप्रिया धाँधरिया, उपाध्यक्ष शरद वर्मा और सचिव आरिफ हुसैन द्वारा एक मंच जहाँ देश के मौजूदा प्रासंगिक मुद्दों पर काफी पर चर्चा का शुभारम्भ गुड़गांव में किया गया।

इस मौके पर विख्यात अर्थशास्त्री प्रो. अरुण कुमार ने नोटबन्दी व GST के बाद अर्थव्यवस्था के लिए खड़े हो रहे संकट पर कहा कि 4.5% GDP कोई सामान्य परंपरागत आंकड़ा नही बल्कि इस सरकार की ढांचागत दुर्नीतियो का प्रतिफल है। साथ ही उन्होंने कहा कि काले धन की धरपकड़ के लिए की गई थी नोटबन्दी पर केंद्रीय रिज़र्व बैंक ने बताया था कि नोट बन्दी के बाद 99.30% cash वापिस बैंकिंग सिस्टम में लौट गया है। सरकार के दावों को खारिज करते हुए प्रो. कुमार ने बताया कि इसका सीधा मतलब यही है कि कालेधन की समस्या अब तक नही सुलझी है।

प्रो. अरुण कुमार कहा है कि नोटबंदी और गब्बर सिंह टैक्स से सबसे पहले अनियोजित सेक्टर बुरी तरह प्रभावित हुआ और अब नियोजित सेक्टर पर इसके दूरगामी दुष्प्रभाव देखने को मिल रहे है। “अनियोजित सेक्टर का कोई स्वतंत्र आंकड़ा नही है और मौजूदा जो 38 में से 29 sub सेक्टर के आंकड़े उपलब्ध है वो भी नियोजित सेक्टर से संचित है। सरकार हर तरह से अब अपना मुँह छुपाने यानी शर्मिंदगी से बचने के हथकंडे ढूंढ रही है जिसका सीधा प्रमाण है कि इस वर्ष अनियोजित सेक्टर के लिए होनेवाले सर्वे को 2022 तक आगे बढ़ा दिया गया है।

इस अवसर पर अखिल भारतीय प्रोफेशनल कांग्रेस के गुड़गांव सम्भाग के तत्वावधान में वरिष्ठ सदस्य डॉ। लक्ष्मण क़ानूगा द्वारा “GST – 30 Month fact check नामक विस्तृत शोध पुस्तिका का विमोचन भी किया गया।

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