दिल्ली-NCR में प्रदूषण की मुख्य वजह पंजाब में जली पराली ही है, कैबिनेट सेक्रेटरी की अध्यक्षता में हुई एक उच्चस्तरीय बैठक में ये बात समने आई. इसमें बताया गया कि दिल्ली के प्रदूषण में पराली का तकरीबन 38 फीसदी योगदान है. यह बैठक सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश पर कैबिनेट सचिव ने आयोजित की थी, जिसमें पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और एनसीटी दिल्ली के मुख्य सचिवों और अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे.
बैठक में सीएक्यूएम द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों और राज्य सरकारों द्वारा उपलब्ध कराई जानकारियों के आधार पर यह सामने आया कि मौजूदा संकट की स्थिति मुख्य रूप से पराली जलाने के कारण उपजी है. 8 नवंबर को वायु प्रदूषण स्तर में 38 प्रतिशत योगदान पराली जलाने से उठे धुएं का था. बैठक में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) के अध्यक्ष और पर्यावरण, वन, कृषि, आवासन एवं शहरी कार्य और विद्युत मंत्रालयों के सचिव मौजूद थे.
पंजाब में धड़ाधड़ जल रही पराली, अभी नहीं सुधरेंगे हालात
बैठक में बताया गया कि 15 सितंबर से लेकर 7 नवंबर तक पंजाब में पराली जलाने के 22 हजार से ज्यादा और हरियाणा में 1607 मामले सामने आए, इनमें से 93% घटनाएं पंजाब और 7 प्रतिशत हरियाणा में रिकॉर्ड हुई. खास बात ये है कि बैठक में अधिकारियों ने ये साफ कर दिया कि फिलहाल दिल्ली के प्रदूषण से राहत मिलने के आसार नहीं है, क्योंकि अभी तक पंजाब में हार्वेस्टिंग 60 प्रतिशत ही पूरी हुई है. जबकि हरियाणा में तकरीबन 90 प्रतिशत कटाई पूरी हो चुकी है. इसका सीधा सा मतलब है कि पंजाब में फिलहाल पराली जलाने के मामले जारी रहेंगे, इसका असर दिल्ली NCR पर पड़ेगा.
पंजाब में भेजे जाएंगे फ्लाइंग स्क्वाड
बैठक में बताया गया कि पंजाब में अभी कटाई बाकी है, ऐसे में पराली जलाने की घटनाओं को रोकने के लिए तत्काल कदम उठाए जाएं. बैठक में निर्णय लिया गया कि पराली जलाने के मामलों पर रोक लगाने के लिए पंजाब में फ्लाइंग स्क्वाड भेजे जाएंगे. आगे पराली न जले यह सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी, संबंधित डीसी या डीएम, एसएसपी व संबंधित थानाध्यक्ष की होगी. बैठक में पराली जलाने पर लगे प्रतिबंध के दौरान पराली जलाने के के सभी दर्ज मामलों की जानकारी उपलब्ध कराने के लिए कहा गया.
फसल अवशेष प्रबंधन के लिए पंजाब को मिल चुका है बजट
बैठक में बताया गया कि कृषि मंत्रालय द्वारा फसल अवशेष प्रबंधन (सीआरएम) योजना के तहत अब तक 3,333 करोड़ रुपये जारी किए जा चुके हैं, इनमें पंजाब को 1531 करोड़ रुपये और हरियाणा को 1006 करोड़ रुपये मिले हैं. इसके अलावा सीआरएम योजना के तहत पंजाब में लगभग 1.20 लाख और हरियाणा में 76,000 सीडर मशीनें उपलब्ध कराई गई हैं. इन मशीनों के प्रयोग से फसल अवशेष प्रबंधन किया जा सकता है, ऐसे में पराली जलाने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी.
बैठक में यह भी तय किया गया कि ऐसी व्यवस्था की जाए, जिससे इस वर्ष शेष पराली न जले और अगली बार इस पर बिल्कुल रोक रहे. पंजाब और हरियाणा दोनों प्रदेशों से ये सुनिश्चित करने को कहा गया, इसके अलावा फसल अवशेष प्रबंधन के लिए अन्य योजनाओं को शुरू करने को कहा गया.