नए ट्रैफिक कानून पर केंद्र और राज्यों के बीच बढ़ा विवाद , 11 राज्य हुए खिलाफ

नई दिल्ली: नए ट्रैफिक कानून पर केंद्र और राज्यों के बीच विवाद बढ़ता ही जा रहा है। भाजपा शासित गुजरात और उत्तराखंड ने जुर्माने की राशि को घटा दिया है वहीं राजस्थान सरकार ने भी  33 प्रावधानों में से 17 में बदलाव कर जुर्माने में 50 फीसदी तक की कटौती कर दी है।  

जुर्माने की राशि को कम करने को लेकर दो और भाजपा शासित राज्य कर्नाटक और महाराष्ट्र विचार कर रहे हैं। मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने गुजरात की तर्ज पर कर्नाटक में भी जुर्माने की राशि को कम करने का आदेश दिया है। वहीं महाराष्ट्र में भी परिवहन मंत्री  दिवाकर राओते ने  नितिन गडकरी को पत्र लिखकर इस पर दोबारा विचार करने और जरूरी संशोधन करके जुर्माने की राशि को कम करने का अनुरोध किया है।

कांग्रेस शासित राज्य मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और पंजाब ने नए कानून को अपने यहां पूर्ण रूप से लागू करने से इनकार कर दिया था। बाद में राजस्थान ने इस संशोधित कानून के 33 प्रावधानों में से 17 में बदलाव कर जुर्माने की राशि को कम कर दिया था। वहीं मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा कि 13 अक्टूबर के बाद इस कानून में संशोधन को लेकर विचार किया जाएगा।

दिल्ली सरकार के परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने कहा कि वह दूसरे राज्यों को देखतक इस कानून पर कोई फैसला लेंगे। फिलहाल दिल्ली में संशोधित मोटर वाहन कानून के तहत लोगों का चालान किया जा रहा है।

पश्चिम बंगाल ने संशोधित ट्रैफिक कानून को राज्य में लागू  करने से इनकार कर दिया है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि संशोधित मोटर वाहन कानून से लोगों पर बोझ बढ़ेगा। वहीं ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने कहा कि इस कानून को लागू करने से पहले लोगों को तीन महीने तक जागरूक किया जाना चाहिए

भाजपा शासित गोवा सरकार ने कहा कि जुर्माने के प्रावधानों को लागू करने से पहले राज्य की सड़कों को सही किया जाएगा। परिवहन मंत्री मॉविन गोदिन्हो ने कहा कि सरकार दिसंबर तक सभी सड़कों को ठीक करा लेगी। जिसके बाद जनवरी से नए ट्रैफिक कानून को लागू किया जाएगा।

संशोधित ट्रैफिक कानून पर गडकरी भी पड़े नरम

राज्यों उठ रहे असंतोष की आवाज के बीच केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी के सुर में भी नरमी देखने को मिल रही है। उन्होंने कहा कि लोगों की जिंदगी बचाना अकेले केंद्र की जिम्मेदारी नहीं है। मुख्यमंत्री चाहें तो अपने राज्यों में जुर्माने की राशि को घटा सकते हैं लेकिन उन्हें इसके नतीजों की भी जिम्मेदारी लेनी होगी।

गड़करी ने कहा कि भारी जुर्माने का मकसद लोगों की जिंदगी बचाना है। जुर्माना लोगों की जान से ज्यादा कीमती नहीं है। सरकार ने सबसे सलाह और संसद में चर्चा करके इस कानून को लागू किया था। हादसों को कम करने की जिम्मेदारी राज्य और केंद्र दोनों की है।

ये 11 राज्य हैं खिलाफ

    गुजरात ,उत्तराखंड ,राजस्थान ,मध्यप्रदेश ,छत्तीसगढ ,गोवा ,दिल्ली ,ओडिशा ,पश्चिम बंगाल , कर्नाटक , महाराष्ट्र

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