रंजिश ने बनाया हैवान, पेड़ में बांधकर की पिटाई फिर पेट्रोल डालकर लगा दी आग

कोलकाता. पश्चिम बंगाल में राजनीतिक रंजिश और हिंसा अपनी सारी सीमाएं तोड़ चुकी है. एक तृणमूल कार्यकर्ता को पेड़ से बांध कर उस पर पेट्रोल छिड़क कर जलाने की कोशिश की गयी. यह घटना पूर्वी मेदिनीपुर के खेजुरी के हेंदिया इलाके में हुई. गंभीर रूप से घायल तृणमूल कार्यकर्ता को कांथी अस्पताल में भर्ती कराया गया है और इसे लेकर मेदिनीपुर में आरोप-प्रत्यारोप शुरू हो गये हैं.

राज्य में पंचायत चुनाव के बाद लगातार हिंसा की घटनाएं सामने आ रही हैं. ऐसे में मेदिनीपुर की इस घटना ने सभी को दहला कर रख दिया है. जिले में सत्तारूढ़ और विपक्षी पार्टियों के बीच संघर्ष की भी घटनाएं घटी हैं. पुलिस सूत्रों के मुताबिक, प्रभावित तृणमूल कार्यकर्ता का नाम नरेंद्रनाथ माजी है. वह खेजुरी-1 ब्लॉक के उत्तरी कलमदान गांव, दक्षिणपल्ली का रहने वाला है. उनके परिवार वालों ने शिकायत की थी कि कुछ स्थानीय लोग उनकी जगह पर जबरन कब्जा कर रहे हैं. नरेंद्रनाथ के परिजनों के मुताबिक रविवार को नरेंद्रनाथ और उनके पिता थाने में शिकायत दर्ज कराने जा रहे थे. आरोप है कि उस वक्त नरेंद्रनाथ को सड़क पर घेरकर बुरी तरह पीटा गया था. आगे आरोप है कि इसके बाद उसे एक पेड़ से बांध दिया गया, उसके शरीर पर पेट्रोल डाला गया और आग लगा दी गयी.

पेड़ में बांधकर पेट्रोल छिड़कर लगा दी आग
नरेंद्रनाथ गंभीर रूप से घायल हैं और अब उनका कांथी के दरुआ अस्पताल में इलाज चल रहा है. परिवार वालों ने आरोप लगाया कि 30 से 40 लोगों ने उन पर हमला किया. नरेंद्रनाथ की हालत गंभीर गंभीर है. परिवारवालों का आरोप है कि राजनीतिक रंजिश की वजह से इस घटना को अंजाम दिया गया है. वहीं भाजपा का दावा है कि पंचायत पर कब्जे को लेकर तृणमूल के बीच आपसी गुटबाजी के कारण यह घटना घटी है. शिकायत शुरू में खजूरी पुलिस स्टेशन में दर्ज की गई थी.

पुलिस ने दर्ज किया केस, शुरू की जांच
बाद में तृणमूल की ओर से हेदिया थाने में लिखित शिकायत दर्ज करायी गयी. पुलिस सूत्रों के मुताबिक घटना की जांच शुरू हो गयी है. पुलिस नरेंद्रनाथ का बयान लेगी.पुलिस इस बात की जांच कर रही है कि वे कौन लोग थे, जिन्होंने इस तरह की घटना को अंजाम दिया है. पुलिस का कहना है कि जो भी इस घटना के दोषी हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. पुलिस ने इलाके के लोगों से पूछताछ शुरू की है.बता दें कि राज्य में चुनावी हिंसा में अभी तक 50 से अधिक लोगों की जान चली गई है. चुनाव परिणाम के बाद से लगातार लोगों को धमकाने और डराने के आरोप लग रहे हैं.

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