प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी के कार्यकाल को 9 साल पूरे हो गए हैं. उनके 9 सालों के इस में सफर एक नजर उन कानूनों पर डालते हैं जो महिलाओं के अधिकार और उनकी सुरक्षा के लिए बनाए गए. 2014 में पीएम मोदी के सत्ता में आने के बाद महिलाओं की सुरक्षा के लिए कई कानून बने और कई कानूनों मे जरूरत के हिसाब से संशोधन किया गया.
- इस लिस्ट में सबसे पहला है आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम, 2013. यह अधिनियम मोदी के प्रधानमंत्री बनने से पहले पारित किया जा चुका था लेकिन बाद में इसमें कई महत्वपूर्ण बदलाव किए गए. बलात्कार, यौन उत्पीड़न और तस्करी जैसे अपराधों के लिए बनाए गए कानून में संशोधन करते हुए इसमें एसिड अटैक, पीछा करना, ताक-झांक करना जैसे नए अपराध शामिल किए गए.
- मैटरनिटी बेनिफिट (अमेंडमेंट) एक्ट 2017: इस एक्ट के जरिए मैटरनिटी लीव की अवधि को 12 सप्ताह से बढ़ाकर 26 हफ्ते कर दिया गया जिससे महिलाओं को स्वस्थ होने और नवजात शिशु की देखभाल के लिए अधिक समय मिल सके. इसके अलावा कर्मचारियों की एक निश्चित संख्या वाले संगठनों में वर्क-फ्रॉम-होम ऑप्शन और क्रेच सुविधाओं के प्रावधान भी पेश किए गए.
- मानव तस्करी (रोकथाम, संरक्षण और पुनर्वास) विधेयक, 2018: ये बिल साल 2018 में संसद द्वारा पारित किया गया था. इसका मकसद मानव तस्करी, विशेष रूप से महिलाओं और बच्चों की तस्करी को रोकना है. इसमें प्रोटेक्शन होम की स्थापना, रिहैबिलिटेशन मेजर और अपराधियों के लिए कड़ी सजा का प्रावधान है.
- मुस्लिम महिला (विवाह पर अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम, 2019: इसे तीन तलाक बिल के रूप में भी जाना जाता है. इस एक्ट ने भारत में मुसलमानों के बीच तीन तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) की प्रथा को आपराधिक बना दिया. इसका उद्देश्य मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों की रक्षा करना और तीन बार तलाक कहकर मनमाने तलाक को रोकना था. इसमें लिखित और इलेक्ट्रॉनिक दोनों रूपों में तलाक कहने को भी गैरकानूनी बना दिया गया.
- क्रिमिनल लॉ (अमेंडमेंट) एक्ट 2018: इस एक्ट के जरिए 12 वर्ष से कम उम्र की लड़कियों से बलात्कार के लिए मौत की सजा की शुरुआत की गई और बलात्कार के लिए कम से कम सजा को बढ़ाकर 20 साल कर दिया गया. इसके अलावा बलात्कार के मामलों की सुनवाई और निपटान में तेजी लाने के लिए फास्ट-ट्रैक अदालतों की भी स्थापना की गई.