संदेशखाली से कोलकाता तक… क्राइम पर ममता बनर्जी की किरकिरी क्यों नहीं रोक पा रहे ये 3 अफसर?

सरकार जब संकट में आती है तो सरकार में शामिल ब्यूरोक्रेसी का काम इसे ठीक ढंग से सुलझाना होता है, जिससे सरकार की भद्द न पिटे. ब्यूरोक्रेट्स को इसलिए क्राइसिस मैनेजमेंट की ट्रेनिंग भी दी जाती है, लेकिन बंगाल के 3 ऐसे भी अफसर हैं, जिनकी वजह से ममता बनर्जी सरकार की हर बार किरकिरी होती है. हालिया कोलकाता रेप केस मामले में भी इन 3 अफसरों की लापरवाही से बंगाल सरकार को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है.

हाईकोर्ट से लेकर राज्यपाल तक के निशाने पर सरकार और उसकी व्यवस्था है. गुरुवार को पत्रकारों से बात करते हुए राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने यहां तक कह दिया कि बंगाल में रात महिलाओं के लिए सेफ नहीं है. इन 3 अधिकारियों पर सवाल इसलिए भी उठ रहे हैं, क्योंकि इन्हीं के पास राज्य में क्राइम कंट्रोल का जिम्मा है.

कौन हैं बंगाल के ये 3 अफसर?

  1. राजीव कुमार- इंडियन पुलिस सेवा के अधिकारी राजीव कुमार अभी बंगाल के पुलिस महानिदेशक हैं. 1989 बैच के आईपीएस राजीव दिसंबर 2023 में बंगाल के डीजीपी बनाए गए थे, लेकिन मार्च में चुनाव आयोग ने लोकसभा इलेक्शन के मद्देनजर गैर-इलेक्टोरल पद पर भेज दिया था. चुनाव खत्म होने के बाद ममता ने उन्हें फिर से डीजीपी की कमान सौंप दी.

ममता बनर्जी के खास राजीव कुमार का नाम शारदा चिटफंड घोटाले में आ चुका है. साल 2019 में राजीव कुमार को पकड़ने सीबीआई गई थी, तो कोलकाता पुलिस ने ही सीबीआई की घेराबंदी कर दी. यह मामला इतना उछला कि ममता बनर्जी को धरने पर बैठना पड़ा. राजीव कुमार के रहते ही संदेशखाली का मामला भी मीडिया में आया और उन पर इस मामले में लापरवाही का आरोप लगा. अब कोलकाता रेप केस मामले में जिस तरह से सरकार बैकफुट पर है, ऐसे में उनकी कार्यशैली पर भी सवाल उठ रहा है.

  1. नंदिनी चक्रवर्ती- भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी नंदिनी चक्रवर्ती अभी पश्चिम बंगाल के होम सेक्रेटरी हैं. 1994 बैच की आईएएस नंदिनी चक्रवर्ती ममता सरकार में पावरफुल रही हैं. ममता बनर्जी जब 2011 में मुख्यमंत्री बनी थीं तब उन्होंने नंदिनी को सूचना और संस्कृति मंत्रालय का जिम्मा दिया था.

इसी साल जनवरी में नंदिनी को गृह विभाग की कमान सौंपी गई है. नंदिनी के गृह सचिव बनते ही संदेशखाली का मामला सामने आया था, जिसमें सरकार की खूब किरकिरी हुई. आखिर में ममता को ही इस मामले में फ्रंट फुट पर आना पड़ा. संदेशखाली में ईडी के अधिकारियों के साथ भी मारपीट की गई थी. इसमें भी बंगाल पुलिस की सुरक्षा-व्यवस्था पर सवाल उठा था. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इस मामले में बंगाल होम विभाग को नोटिस जारी किया था. 2023 में नंदिनी जब राज्यपाल की प्रमुख सचिव थी, तब भी वे सुर्खियों में आई थी. उन्हें राज्यपाल ने पद से हटा दिया था. राज्यपाल का कहना था कि नंदिनी ममता के लिए काम करती हैं.

  1. बीपी गोपालिका- बंगाल के प्रमुख सचिव बीपी गोपालिका पहले राज्य के गृह सचिव भी थे. गोपालिका भी ममता सरकार पर आए बड़े संकटों को सुलझाने में फ्लॉप ही रहे हैं. गोपालिका के रहते संदेशखाली, हावड़ा हिंसा जैसे बड़े मामले हुए, जिसमें सरकार की खूब भद्द पिटी.

मूल रूप से आंध्र के रहने वाले भगवती प्रसाद गोपालिका को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का करीबी माना जाता है. वे 1989 बैच के आईएएस अफसर हैं. गोपालिका को बंगाल के कई जिलों में बतौर जिलाधिकारी काम करने का अनुभव है.

कोलकाता रेप केस में अब तक क्या-क्या हुआ?
बंगाला की राजधानी कोलकाता में 8-9 अगस्त की रात में राधागोविंद कर अस्पताल में एक ट्रेनी डॉक्टर के साथ रेप की वारदात हुई. इस घटना ने पूरे बंगाल को हिला दिया. शुरुआत में पुलिस इस मामले की जांच की बात करती रही, लेकिन किसी ठोस एक्शन पर नहीं पहुंच पाई. खुद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को पुलिस को हिदायत देनी पड़ी. मामले में किसी बड़े एक्शन न होने पर लोग सड़कों पर उतर आए. इसी बीच मामला हाईकोर्ट पहुंच गया. हाईकोर्ट ने पुलिसिया जांच पर सवाल उठाया और केस को सीबीआई के पास भेज दिया. केस में नया मोड़ तब आया जब 14 अगस्त की रात में आरजी मेडिकल कॉलेज में प्रदर्शन करने लोग पहुंच गए. प्रदर्शनकारियों ने कॉलेज में जमकर तोड़फोड़ की. ये लोग कौन थे और कहां से आए थे, पुलिस को इसकी भी जानकारी नहीं थी. इस घटना के बाद ममता बनर्जी ने बंगाल में बांग्लादेश जैसी स्थिति की आशंका जताई.

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