जम्मू-कश्मीर में गैर जरूरी आदेश वापस लें सरकार, पूरी तरह इंटरनेट बंद करना बहुत सख्त कदम: सुप्रीम कोर्ट

दिल्ली: जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने के बाद घाटी में इंटरनेट और लोगों की आवाजाही बंद करने जैसी पाबंदियों पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि जम्मू-कश्मीर में इंटरनेट पर पूरा बैन लगाना बहुमत सख्त कदम है. लोगों को अपनी असहमति जताने का हक है. सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को गैर जरूरी आदेश वापस लेने को कहा है. जम्मू-कश्मीर में एसएमएस सेवा चल रही है. लेकिन मोबाइल इंटरनेट और घरों में लगे ब्रांडबैंड बंद हैं.

सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में क्या-क्या कहा है?

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘’सरकार को कोई भी आदेश देने से पहले संतुलन बनाना चाहिए. इंटरनेट पर पूरा बैन बहुत सख्त कदम है. लोगों को अपनी असहमति जताने का पूरा हक है.’’ कोर्ट ने कहा कि इंटरनेट पर रोक तभी लग सकती है, जब सुरक्षा को गंभीर खतरा हो.

बीच-बीच में आदेशों की समीक्षा होनी चाहिए- सुप्रीम कोर्ट

इतना ही नहीं सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा, ‘’धारा 144 लगते समय भी गहराई से विचार होना चाहिए.’’ कोर्ट ने सरकार को आदेश दिया है कि वह सभी आदेश प्रकाशित करे. भविष्य में भी ऐसा हो ताकि किसी के लिए उसे चुनौती देना आसान हो. कोर्ट ने कहा, ‘’इंटरनेट पर एक समय सीमा के लिए ही रोक लगनी चाहिए और बीच-बीच में समीक्षा होनी चाहिए.’’

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सरकार अपने सभी आदेशों को दोबारा देखे. जो गैरज़रूरी हैं, उन्हें वापस ले. कोर्ट ने कहा कि चिकित्सा जैसी आपातकालीन बुनियादी सेवाओं में कोई बाधा न आए और सरकार सभी तरह के आदेशों की समीक्षा करे और उन्हें प्रकाशित करे. कोई भी आदेश न्यायिक समीक्षा से परे नहीं है.

पाबंदियों को लेकर दाखिल की गई थी SC में याचिका

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने ये बातें जम्मू-कश्मीर में मोबाइल-इंटरनेट सेवा बंद करने और लोगों की आवाजाही पर रोक के खिलाफ दाखिल याचिकाओं पर कही हैं. याचिकाकर्ताओं का कहना है कि पाबंदियां अवैध तरीके से लगाई गई, इनके जरिए लोगों के मौलिक अधिकारों का हनन किया गया. आर्टिकल 370 हटाने का फैसला हुए कई महीने हो गए, लेकिन अब भी कई तरह के प्रतिबंध जारी हैं.

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