सुप्रीम कोर्ट ने एक गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) की ओर से बाल विवाह के मामले में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करके बुधवार अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है. याचिका में देश में बाल विवाह के मामले बढ़ने और संबंधित कानून का ठीक क्रियान्वयन नहीं हो पाने का आरोप लगाया गया था. चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस जे बी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने याचिकाकर्ता सोसाइटी फॉर एनलाइटनमेंट एंड वॉलंटरी एक्शन के वकील और केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्य भाटी की दलीलें सुनीं और इसके बाद फैसला सुरक्षित रखा है.
सुप्रीम कोर्ट ने एक गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) की ओर से बाल विवाह के मामले में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करके बुधवार अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है. याचिका में देश में बाल विवाह के मामले बढ़ने और संबंधित कानून का ठीक क्रियान्वयन नहीं हो पाने का आरोप लगाया गया था. चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस जे बी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने याचिकाकर्ता सोसाइटी फॉर एनलाइटनमेंट एंड वॉलंटरी एक्शन के वकील और केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्य भाटी की दलीलें सुनीं और इसके बाद फैसला सुरक्षित रखा है.
बाल विवाह मामले पर कई कड़े फैसले
असम में बाल विवाह को सामाजिक अपराध मानते हुए मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने कड़ा फैसला लिया है. प्रदेश में बाल विवाह के आरोप में धड़ाधड़ गिरफ्तारियां चल रही है. इस गिरफ्तारी में किसी भी वर्ग को बख्शा नहीं जा रहा है. बाल विवाह कराने वाले पुजारी से लेकर काजी तक के खिलाफ केस दर्ज किये जा रहे है. यहां हजारों लोगों के खिलाफ केस दर्ज किये जा चुके हैं.
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने काफी पहले से ही राज्य में बाल विवाह को खत्म करने के लिए अभियान छेड़ रखा था. उन्होंने इसे सामाजिक अपराध के तौर पर बाल विवाह में शामिल होने या कराने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की बात कही थी. सरकार ने आदेश जारी कर कहा था कि जो भी नाबालिग उम्र में शादी करेगा या कराएगा, उसके खिलाफ पॉक्सो एक्ट के तहत कार्रवाई की जाएगी. और जेल जाना पड़ेगा.