सेबी की डॉयरेक्टर माधवी पुरी बुच के खिलाफ हिंडनबर्ग की रिपोर्ट ने सियासी पारा बढ़ा दिया. कांग्रेस सहित INDIA गठबंधन के दलों ने उन्हें हटाने और संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से इस मामले की जांच कराने की मांग की है. इस बीच बसपा प्रमुख मायावती ने केंद्र सरकार को सलाह दी है. उन्होंने मंगलवार को एक्स (ट्वीटर) पर पोस्ट शेयर करते इस मामले की उच्चस्तरीय जांच कराने की मांग की.
बसपा सुप्रीमो ने ट्वीट में कहा, ‘पहले अडानी ग्रुप व अब सेबी चीफ संबंधी हिंडनबर्ग की रिपोर्ट फिर से जबरदस्त चर्चाओं में है. आरोप-प्रत्यारोप का दौर इस हद तक जारी है कि इसे देशहित को प्रभावित करने वाला बताया जा रहा है. अडानी व सेबी द्वारा सफाई देने के बावजूद मुद्दा थमने का नाम नहीं ले रहा, बल्कि उबाल पर है.’ उन्होंने आगे कहा, ‘वैसे यह मुद्दा अब सत्ता और विपक्ष के वाद-विवाद से परे केंद्र की अपनी साख व विश्वसनीयता को भी प्रभावित कर रहा है, जबकि केंद्र सरकार को अब तक इस पर उच्च-स्तरीय जांच जेपीसी या ज्यूडिशियल जांच जरूर बैठा देनी चाहिए थी, तो यह बेहतर होता.’ दरअसल, 10 अगस्त को हिंडनबर्ग ने एक नई रिपोर्ट में दावा किया है कि सेबी की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच की अडानी ग्रुप से जुड़ी ऑफशोर कंपनी में हिस्सेदारी है. इसके बाद से पूरे मामले पर राजनीति गरमा गई. विपक्ष के सांसदों ने मामले की जेपीसी जांच कराने की मांग की.
सेबी प्रमुख ने दी सफाई
सेबी की अध्यक्ष माधुरी पुरी बुच ने पति और खुद पर लगे आरोपों को निराधार बताते हुए खारिज कर दिया. उन्होंने कहा कि हिंडनबर्ग रिपोर्ट ने सेबी की विश्वसनीयता पर हमला किया है. उन्होंने रविवार को आरोपों पर जवाब देते हुए कहा कि हिंडनबर्ग को हमारी तरफ से कई बार कारण बताओ नोटिस भेजे गए थे. मगर, उन्होंने इनका जवाब नहीं दिया. बुच ने हिंडनबर्ग की ओर से लगाए गए आरोपों को चरित्र हनन की एक कोशिश बताई है. इसके साथ ही अडानी समूह ने भी इस पर सफाई देते हुए कहा कि उसका सेबी अध्यक्ष और उनके पति के साथ कोई व्यावसायिक संबंध नहीं है.