राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा कि भारत को दुनिया को बताना होगा कि विविधता में एकता नहीं, एकता में विविधता है. भारत स्टेट नेशन है, नेशन स्टेट नहीं. स्टेट गया कि नेशन गया. दुनिया की सुरक्षा का एक ही उपाय है, सभी एकत्र रहो.अरब देशों को एक रिलीजन के आधार पर एक रखा है. नेशनलिज्म का सबसे ताजा उदाहरण हिटलर है, इसलिए बाहर के देशों में लोग डरते हैं. हमारे यहां ऐसा नहीं है.
नई दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में सरसंघचालक ने कहा कि हमारे ऋषियों ने ऐसा समाज बनाया कि विश्व कल्याण की बात वसुधैव कुटुंबक सोचा. G20 पहले से अर्थ आधारित संस्था थी. उसको हमने वसुधैव कुटुंबक देकर मानव आधारित संस्था बनाया. ये हमारी प्रकृति है.
उन्होंने कहा कि घर वापसी को हंगामा मचा. इस बीच, हम रंगा हरी से मिलने केरल गए. उन्होंने कहा कि रंगा हरी केवल अकेले ऐसे शख्स थे, उनके पास बैठने से बहुत कुछ सीखने को मिलता था.
प्रणब मुखर्जी से बहुत कुछ जानने मिला
सरसंघचालक ने कहा कि पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के साथ जब बैठते थे, तो बहुत कुछ मिल जाता था. उन्होंने प्रणब मुखर्जी को विद्वान बताते हुए कहा कि जब उनसे वह मिलते थे तो वह कहते थे कि हमारे देश का संविधान ही सेकुलर है.
उन्होंने कहा हमें कोई क्या प्लुरलिस्टिक सोसाइटी बताएगा, ये हमारे संविधान में है… लेकिन केवल संविधान ही नहीं बल्कि हम 5 हजार वर्ष से ये दुनिया को बताते आए हैं. ऐसी ही हमारी संस्कृति है.
हम अपने आप को सामर्थ्य बनाएं
आरएसएस प्रमुख ने कहा कि सारी पृथ्वी एक है ये हमारे लिए थियरी नहीं है. हमारी मानस और सोच यही है. इतने प्रकार के लोग है. हमारे देश में हैं. वे सारे सभी आपस में ना लड़े. हम आपने आप को समर्थ बनाए वो ठीक है और दुनिया को भी ये ज्ञान दें.
उन्होंने कहा कि दुनिया को ये ज्ञान देने वाला भारत खड़ा हो और उसके लिए जो सामर्थ्य चाहिए वो हो, लेकिन उसका प्रयोजन क्या है कि हम सब एक हैं. पुस्तक का अध्ययन करके देश की विविधता को एकता के सूत्र में पिरोने का विचार करना चाहिए