भारत का चंद्रयान-3 चांद पर लैंड होने के लिए बेकरार है, इसरो ने लैंडिंग के लिए 23 अगस्त शाम 6 बजे का वक्त दिया है. हर हिन्दुस्तानी की नज़र इसी मिशन पर टिकी है, लेकिन भारत का चंद्रयान-3 चांद पर अपने कदम रखे उससे पहले ही एक बड़ा हादसा हुआ. रूस का मिशन लूना-25 भी चंद्रयान-3 के करीब था और चांद पर लैंड होने वाला था. लेकिन लैंडिंग से ठीक पहले उसके साथ हादसा हुआ, लूना-25 चांद की सतहों से टकराकर क्रैश हो गया. चंद्रयान-3 के बाद उड़ान भरने वाला रूस का ये मिशन उससे पहले लैंड होने वाला था, लेकिन रूस का ये मिशन अधूरा ही रह गया. आखिरी रूस के लूना-25 के साथ क्या हुआ, क्यों ये मिशन फेल हो गया. इसको लेकर अभी तक जो दावे किए गए हैं,
रूस का सपना कुछ इस तरह टूटा…
रूस का लूना-25 भी इसरो के चंद्रयान-3 की तरह चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंड करने वाला था, ये पिछले पांच दशक में रूस का पहला मून मिशन था जिसके लिए वह काफी उत्साहित था. रूसी स्पेस एजेंसी रॉसकॉसमॉस ने रविवार को यह जानकारी दी कि शनिवार दोपहर 2.57 बजे ही उसका संपर्क लूना-25 से टूट गया था, बार-बार संपर्क साधने की कोशिश हुई लेकिन एजेंसी उसमें सफल नहीं हो पाई. करीब 800 किग्रा. का लैंडर चांद की सतह से टकरा गया, जिसकी वजह से लैंडर की चांद पर लैंडिंग नहीं हो पाई.
रॉसकॉसमॉस के मुताबिक, जैसे ही लूना-25 चांद के बेहद करीब पहुंचा तब वह अपनी तय कक्षा से अलग कक्षा में चला गया था, इसी दौरान हमारा संपर्क उससे टूटा और चांद की सतह पर टकराने की वजह से वह क्रैश हो गया. अब रूसी एजेंसी ने एक कमिशन का गठन किया है, जो इस मिशन के फेल होने के कारणों की पूरी जांच करेगा और अपनी रिपोर्ट पेश करेगा. अपने आधिकारिक बयान में रूसी एजेंसी ने बताया कि जब लैंडिंग का ऑपरेशन हो रहा था, उस वक्त कुछ ऐसा घटा जिसने चीज़ों को अचानक से बिगाड़ दिया, जिसकी वजह से आखिरी मैन्युवर पूरा नहीं हो सका और मिशन का हाथ से निकलता गया.
चांद पर है हिन्दुस्तान, लेकिन पाकिस्तान कहां
जब साल 2019 में भारत का मिशन चंद्रयान-2 लॉन्च हुआ था, तब तत्कालीन इसरो चीफ के. सिवन ने एक बात की थी जिसके मायने अभी तक निकाले जाते हैं. उन्होंने बताया था कि लैंडिंग से पहले के आखिरी 15 मिनट एक टेरर की तरह होते हैं, इसी को पार करना पूरे मिशन का सबसे मुश्किल पल होता है और कई बार यहां चीज़ें आपके हाथ में नहीं होती हैं. रूस के लूना-25 के साथ भी कुछ ऐसा ही घटा, जहां चीज़ें हाथ से निकल गई और जो रूस 20-21 अगस्त को चांद पर लैंड होने का दावा कर रहा था, वह अपने मिशन में सफल नहीं हो सका.
कहां है भारत का मिशन चंद्रयान-3?
चांद पर पहुंचने की होड़ में अभी तक रूस और भारत साथ-साथ दौड़ रहे थे, अब जब लूना-25 फेल हो गया है तो चंद्रयान-3 ही अकेल मिशन बचा है. इसरो पिछले 3-4 दिनों से चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर को संभालने में लगा हुआ है और इसे अब लैंडिंग की पॉजिशन में लाया जा रहा है. इसरो ने अनुमान लगाया है कि 23 अगस्त शाम 6 बजकर 4 मिनट पर विक्रम लैंडर चांद की सतह पर उतरेगा. अगर यह सॉफ्ट लैंडिंग सफल होती है तो भारत चांद की सतह पर अपना मिशन सफलतापूर्वक करने वाला दुनिया का चौथा देश बनेगा, साथ ही वह चांद के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला दुनिया का पहला देश बनेगा.
20 अगस्त को इसरो ने बताया कि विक्रम लैंडर ने अपनी दूसरी डिबूस्टिंग कर ली है, यानी लैंडर की स्पीड को कम करने की प्रक्रिया की गई है. अब लैंडर को चांद के और करीब लाया गया है, अब लैंडिंग से ठीक पहले विक्रम लैंडर मॉड्यूल अपनी आंतरिक जांच करेगा और चांद पर होने वाले सूर्योदय तक लैंडिंग की पॉजिशन में आएगा. करीब चार साल बाद भारत फिर उस स्थिति में आकर खड़ा हो गया है, जहां वह 6 सितंबर 2019 को चंद्रयान-2 के वक्त था. उस वक्त भी लैंडिंग का इंतजार था, लेकिन चंद्रयान-2 अंतिम पल में चूक गया था.
इसरो अपने इस मिशन का लाइव प्रसारण करेगा, शाम 5 बजकर 27 मिनट से 23 अगस्त को लैंडिंग से जुड़ा मोमेंट पूरी दुनिया लाइव देख सकेगी. बता दें कि इसरो ने 14 जुलाई को अपना मिशन लॉन्च किया था, करीब सवा महीने के सफर के बाद चंद्रयान-3 चांद के करीब पहुंचा और अब चांद पर लैंड करने लिए तैयार है. चंद्रयान-3 5 अगस्त को चांद की कक्षा में एंटर हुआ था, 16 अगस्त से उसे चांद के करीब लाने की प्रक्रिया चल रही है.