5 जून, 2023 को यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने 51 वर्ष की जीवन यात्रा पूरी कर ली. पिछले छह साल से भी अधिक समय से वे देश के सबसे बड़े राज्य के मुख्यमंत्री हैं. उनकी आम शोहरत मुस्लिम विरोधी की है. पर, सच से इसका लेना-देना नहीं है. हाँ, वे हिन्दुत्व के प्रबल समर्थक जरूर हैं. सबसे पहले गोरखनाथ मंदिर और आसपास के मोहल्लों रसूलपुर, दशहरीबाग, चकसा हुसैन, मिलन्दपुर खत्ता, उत्तरी हुमायूँपुर मोहल्ले पर एक नजर डालें तो मुस्लिम विरोधी होने का नरेटिव फुर्र हो जाता है. ये वह मोहल्ले हैं जहाँ तब भी दंगे नहीं हुए जब मंदिर आंदोलन के दौरान पूरा देश दंगे की आग में था.
इन मोहल्लों पर मंदिर का पूरा संरक्षण है. छोटी से छोटी दुख-तकलीफ लेकर इन मोहल्लों के मुस्लिम परिवारों के लोग आज भी मंदिर का रुख करते हैं. घर में दो भाई या चाचा-भतीजा भिड़ने के बाद थाना-चौकी नहीं, मंदिर जाते हैं. पहले ये सारे मामले खुद योगी आदित्यनाथ निपटाते थे. अब उनके निर्देश पर मंदिर की व्यवस्था देखने वाले पदाधिकारी सरल तरीके से निपटा देते हैं.
गोरखनाथ मंदिर परिसर में 35-40 फीसदी दुकानें मुस्लिम परिवारों की
गोरखनाथ मंदिर परिसर में मौजूद दुकानों में 35-40 फीसदी दुकानें आसपास रहने वाले मुस्लिम परिवारों की हैं. कैंपस में लगे सैकड़ों की संख्या में ठेले बहुतायत मुस्लिम युवा, महिलायें आदि लगाते हैं. खिचड़ी मेला के दौरान करीब दो महीने तक मंदिर परिसर में लगने वाले झूले, अन्य खेल की दुकानें भी मुस्लिम लगाते आ रहे हैं. गोरखनाथ मंदिर परिसर स्थित अस्पताल में मुस्लिम मरीजों का ताँता देखा जा सकता है. इस अस्पताल पर लोगों का भरोसा है. प्रॉफ़िट के लिए नहीं है, इसलिए इलाज सस्ता और गुणवत्तापूर्ण है.
यासीन अंसारी के कंधों पर मंदिर के निर्माण कार्यों की जिम्मेदारी
मंदिर परिसर में निर्माण कार्यों के देखरेख की जिम्मेदारी बीते 40-45 वर्ष से मोहम्मद यासीन अंसारी के कंधों पर है. वे बीस साल के थे, जब मंदिर आए. अब यहीं के होकर रह गए. किसी की मजाल नहीं कि इनके रहते मंदिर में किसी तरह का नुकसान होने पाए. बाबा गम्भीरनाथ वार्ड ने पहली बार एक बेहद साधारण मुस्लिम महिला हकीकुन निशा पार्षद चुनी गईं. इनके पति बरकत आली भाजपा जिला इकाई में पदाधिकारी हैं और लंबे समय से मंदिर और योगी आदित्यनाथ से जुड़े हैं.
यह बातें इसलिए महत्वपूर्ण हैं क्योंकि 1994 में मंदिर में पहुँचने और सन्यास लेने के बाद साल 2017 तक योगी आदित्य नाथ का केंद्र गोरखनाथ मंदिर, गोरखपुर शहर, आसपास के जिले ही रहे. यह चीजें अकेले उन्होंने नहीं बनाई हैं. उनके गुरु महंत अवैद्यनाथ से ये संस्कार उनमें आए हैं.
कट्टर हिन्दुत्व के समर्थक मगर सम्मान सभी धर्मों का
यह बात बिल्कुल सही है कि योगी आदित्यनाथ कट्टर हिन्दुत्व के समर्थक हैं लेकिन वे सम्मान सभी धर्मों का करते हुए देखे जाते हैं. सीएम बनने के बाद भी उनके फैसलों में उनकी सभी का सम्मान करने की उनकी छवि अनेक बार देखी जा सकती है. धार्मिक स्थलों से जब लाउड स्पीकर हटाने का आदेश हुआ तो बहुसंख्यक ने माना कि यह केवल मस्जिदों पर लागू होगा, जबकि आदेश में ऐसा नहीं कहा गया था. सच्चाई यही है कि मस्जिदों से लाउड स्पीकर हटे तो मंदिरों से भी उतारा गया.
महंत होने की वजह से उनका गेरुआ वस्त्र और ऊपर से सख्त चेहरा कई बार लोगों को उनके बारे में विपरीत दिशा में सोचने को मजबूर करते हैं. पर, वे हर उस जगह सख्त दिखते हैं, जब अन्याय देखते हैं. जब वे सांसद थे तो सुबह मंदिर में लोगों की सुनते थे और अनिवार्य रूप से अपने एरिया में गाँव-गाँव रोज घूमने निकल जाते थे. लोगों से मिलते, उनका दुख-तकलीफ सुनते, मदद करते वापस आ जाते.
शपथ लेने के बाद लिए मुस्लिम कल्याण से जुड़े कई फैसले
सीएम पद की शपथ लेने के बाद मुस्लिम कल्याण से जुड़े फैसलों में भी उनकी छवि साफ देखी जा सकती है. वही लोग हैं, वही अफसर हैं लेकिन यूपी दंगा मुक्त हो चुका है. कारण चाहे जो भो लेकिन आज की हकीकत यही है. जब मदरसों में गड़बड़ियों की सूचना पर जाँच के आदेश दिए तो लोगों ने विरोध मान लिया और अब उन्हीं मदरसों में दीनी शिक्षा के साथ आधुनिक शिक्षा की शुरुआत हुई तब एक अलग छवि बनती हुई देखी जा रही है. अब मदरसों की ओर जाने वाले स्टूडेंट्स के बैग में हिन्दी-अंग्रेजी की किताबें भी देखी जा रही हैं.
हालाँकि, अभी इस मामले में बहुत कुछ किया जाना बाकी है, पर शुरुआत हो चुकी है. मुस्लिम विद्वान कहते हैं कि शुरुआत अच्छी है लेकिन पाठ्यक्रम को आज की जरूरत से जोड़ना होगा. उम्मीद की जानी चाहिए कि सरकार इस दिशा में जरूर सोचेगी. इसी के साथ मुस्लिम समाज में जागरूकता अभियान की दरकार भी तेजी से महसूस की जा रही है.
योगी राज में संचालित हो रहे 16513 मदरसे
उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा परिषद के चेयरमैन डॉ इफ़्तिख़ार अहमद जावेद कहते हैं कि आज हमारे पास मदरसों में पढ़ने वाले एक-एक बच्चे का हिसाब है. सबको किताबें मिल चुकी हैं. वहीं सुविधाएं मदरसों में भी दी जा रही हैं, जो अन्य स्कूलों में मिलती हैं. सरकार की ओर से कोई भेदभाव नहीं है. बोर्ड से मान्यता प्राप्त 16513 मदरसे संचालित हो रहे हैं. 8449 ऐसे मदरसे हैं, जो बोर्ड से मान्यता प्राप्त नहीं हैं लेकिन उनकी एक-एक जानकारी हमारे पास है. इस समय लगभग 27 लाख छात्र-छात्राएं मदरसों में पंजीकृत हैं. डॉ इफ़्तिख़ार कहते हैं योगी सरकार चाहती है कि मुस्लिम परिवारों के बच्चे मदरसों-स्कूलों तक बड़ी संख्या में पहुँचें.
अल्पसंख्यकों को मिल रहा योजनाओं का लाभ
भाजपा अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के पदाधिकारी आसिफ जमा रिजवी कहते हैं कि पार्टी के निर्देश पर वे सीतापुर, बहराइच जिलों के दौरे पर इसलिए गए थे कि अल्पसंख्यक कल्याण योजनाओं की जमीनी हकीकत जान सकें. दोनों जिलों में हमने पाया कि आवास योजना, इज्जत घर, उज्ज्वला योजना समेत अनेक सरकारी योजनाओं का लाभ बड़ी संख्या में मुस्लिम समुदाय के लोगों को मिला है. लोग खुश हैं कि उन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ मिला, चाहे फ्री राशन हो या किसान सम्मान राशि, इसमें कोई भेदभाव देखने को नहीं मिला है.