दिल्ली: हैदराबाद में महिला वेटनरी डॉक्टर से गैंगरेप और हत्या (Rape and murder) के मामले में पुलिस की लापरवाही भी सामने आई है. महिला डॉक्टर के परिजनों का आरोप है कि उन्होंने समय रहते पुलिस से मदद की गुहार लगाई थी, लेकिन उन्हें एक थाने से दूसरे थाने के चक्कर लगाने पर मजबूर किया गया. इस पूरी घटना में पुलिस के शर्मनाक रवैये पर अब आंध प्रदेश पुलिस (Andhra Pradesh Police) के डीजीपी गौतम सवांग ने कड़ा रुख अख्तियार किया है. उन्होंने पुलिस थानों को सख्त हिदायत दी है कि अगर किसी थाने पर संज्ञेय अपराध की सूचना दी जाएगी, तो वहीं एफआईआर (FIR) दर्ज होगी. इसके बाद मामले को संबंधित थाने में ट्रांसफर किया जाएगा. डीजीपी ने ये भी कहा कि ऐसा नहीं करने पर संबंधित थाने के पुलिसवालों पर केस दर्ज होगा.
गौरतलब है कि तेलंगाना के हैदराबाद के साइबराबाद में टोल प्लाजा के पास बीते हफ्ते एक महिला वेटनरी डॉक्टर की गैंगरेप के बाद हत्या कर दी गई थी. फिर लाश को पेट्रोल से जलाकर फ्लाईओवर के नीचे फेंक दिया गया था. इस मामले में पुलिस ने 4 आरोपियों को गिरफ्तार किया है. इस घटना से देशभर में गुस्से का माहौल है.
महिला डॉक्टर की बहन ने आरोप लगाया है जब वह थाने में शिकायत दर्ज कराने पहुंची, तो उन्हें वहां से शमशाबाद थाने जाने को कहा गया. पुलिस ने कहा कि यह मामला उनके क्षेत्र में नहीं आता. परिजनों ने आरोप लगाया कि पुलिसवाले सीमा विवाद में उलझे रहे और उन्हें इधर-उधर दौड़ाते रहे.
100 नंबर डायल करने पर पुलिस ने मांगा था आधार नंबर
पीड़िता का शव मिलने के बाद जब पीड़िता की बहन पुलिस के पास पहुंची तो पुलिस वालों ने कहा कि अगर तुम्हारी बहन ने 100 नंबर पर फोन किया होता, तो शायद वह बच जाती. पीड़िता की बहन ने बताया कि जब परिजनों के खोजने के बाद भी नहीं मिली, तो परिवार वालों ने 100 नंबर पर पुलिस को फोन किया. कुछ समय बाद जब एक पुलिस कर्मी से बात हुई, तो उन्होंने पहले आधार कार्ड का नंबर लिखा, फिर उनकी शिकायत लिखी.
इस पूरे मामले में डीजीपी गौतम सवांग ने कहा, ‘हमने सभी थानों को निर्देश दिए हैं कि जैसे ही किसी थाने पर संज्ञेय अपराध की सूचना आए, सीमा विवाद में उलझे बिना तुरंत एफआईआर दर्ज की जाए. अगर एफआईआर दर्ज नहीं होती है, तो उस थाने के पुलिस अधिकारी के खिलाफ विभागीय कार्रवाई के अलावा केस दर्ज किया जाएगा. उनके अलावा उनके सीनियर अधिकारियों को भी नहीं बख्शा जाएगा.’