दिल्ली: राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर हुई चर्चा के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को लोकसभा में अपनी बात रखी तो बुधवार को उन्होंने राज्यसभा में संबोधन किया। पीएम मोदी ने रायबरेली से वायनाड तक कांग्रेस को घेरते हुए कहा कि कांग्रेस के हारने का मतलब देश की हार नहीं होती। उन्होंने पूछा क्या कांग्रेस हार गई तो देश हार गया? मंगलवार को लोकसभा की तरह उन्होंने बुधवार को राज्यसभा में भी शायरी के जरिए विपक्ष पर हमला बोला”
“उम्र भर गालिब यही भूल करता रहा, धूल चेहरे पर थी, आइना साफ करता रहा “
इस दौरान मोदी ने क्या क्या कहा:
पहले से अधिक जनसमर्थन और विश्वास के साथ हमें दोबारा देश की सेवा करने का अवसर देशवासियों ने दिया है। मैं सबका आभार प्रकट करता हूं।
दशकों बाद देश ने एक मजबूत जनादेश दिया है, एक सरकार को दोबारा फिर से लाए हैं और पहले से अधिक शक्ति देकर लाए हैं। भारत जैसे लोकतंत्र में हर भारतीय के लिए गौरव का विषय है कि हमारा मतदाता कितना जागरुक है। देश के लिए निर्णय करता है, यह चुनाव में साफ साफ नजर आया।
2019 का चुनाव एक प्रकार से दलों से परे देश की जनता लड़ रही थी। जनता खुद सरकार के कामों की बात लोगों तक पहुंचाती थी। जिसे लाभ नहीं मिला वो भी ये बात करता था कि उस व्यक्ति को लाभ मिल गया है अब मुझे भी मिलने वाला है। इस विश्वास की एक अहम विशेषता है।
चुनाव प्रक्रिया में सुधार होते रहे हैं और होते रहने चाहिए। खुले मन से इस पर चर्चा होनी चाहिए। लेकिन बिना चर्चा के ये कह देना कि हम एक देश-एक चुनाव के पक्ष में नहीं हैं, कम से कम चर्चा तो करनी चाहिए। ये समय की मांग है कि देश में कम से कम मतदाता सूची तो एक हो।
कांग्रेस हार गई तो देश हार गया क्या?
पीएम मोदी ने विपक्ष को घेरते हुए कहा कि इतने बड़े जनादेश को कुछ लोग ये कह दें कि आप तो चुनाव जीत गए लेकिन देश चुनाव हार गया। मैं समझता हूं कि इससे बड़ा भारत के लोकतंत्र और जनता जनार्दन का कोई अपमान नहीं हो सकता।
मैं पूछना चाहूंगा कि क्या वायनाड में हिंदुस्तान हार गया क्या? क्या रायबरेली में हिंदुस्तान हार गया? क्या बहरामपुर और तिरुवनंतपुरम में हिंदुस्तान हार गया क्या? और क्या अमेठी में हिंदुस्तान हार गया? मतलब कांग्रेस हारी तो देश हार गया क्या? अहंकार की भी एक सीमा होती है।
55-60 वर्ष तक देश को चलाने वाला एक दल 17 राज्यों में एक भी सीट नहीं जीत पाया तो क्या इसका मतलब ये हुआ कि देश हार गया?
कांग्रेस की कुछ न कुछ ऐसी समस्या है कि ये विजय को भी नहीं पचा पाते और 2014 के बाद से मैं देख रहा हूं कि ये पराजय को भी स्वीकार नहीं कर पाते।
सबका साथ सबका विकास का मंत्र लेकर हम चले थे लेकिन पांच साल के हमारे कार्यकाल को देखकर देश की जनता ने उसमें सबका विश्वास रुपी अमृत जोड़ा है।
लेकिन आजाद साहब को कुछ धुंधला नजर आ रहा है, जब तक राजनीतिक चश्मे से सब देखा जायेगा तो धुंधला ही नजर आएगा और इसलिए अगर हम राजनीतिक चश्में उतारकर हम देखेंगे तो देश का भविष्य नजर आएगा।
शायद इसीलिए गालिब ने कहा था कि उम्र भर गालिब यही भूल करता रहा, धूल चेहरे पर थी, आइना साफ करता रहा
‘ईवीएम को लेकर कांग्रेस पर बरसे’
पीएम मोदी ने कहा कि ईवीएम के खिलाफ पूरा माहौल बनाया गया। हम भी मानने लगे थे कि कुछ तो गड़बड़ है, लेकिन वीवीपैट ने ईवीएम की ताकत को बढ़ाया। न्यायपालिका ईवीएम को हरी झंडी दिखा चुकी है।
जब स्वयं पर भरोसा नहीं होता है, सामर्थ्य का अभाव होता है, तब फिर बहाने ढूंढे जाते हैं। हर चीज में विपक्ष नकारात्मकता दिखाता है।
आत्मचिंतन करने और अपनी गलतियों को स्वीकारने की जिनकी तैयारी नहीं होती वो फिर ईवीएम पर ठीकरा फोड़ते हैं। जिससे अपने साथियों को बताया जाये कि देखो, देखो हम तो ईवीएम के कारण हारे।
कभी सदन में हम भी 2 रह गए थे। हमको 2 या 3 बस, कहकर बार-बार हमारा भी मजाक उड़ाया जाता था। लेकिन हमें कार्यकर्ताओं पर भरोसा था, देश की जनता पर भरोसा था। हममें परिश्रम करने की पराकाष्ठा थी और इससे हमने फिर से पार्टी को खड़ा किया। हमने ईवीएम पर दोष नहीं दिया था।
‘हैरान हूं, मीडिया और किसानों को भी गाली दी गई’
पीएम मोदी ने कहा कि मैं हैरान हूं, मीडिया को भी गाली दी गई कि मीडिया के कारण चुनाव जीते जाते हैं।
मीडिया बिकाऊ है क्या? जो खरीद कर चुनाव जीत लिए जाएं। तमिलनाडु जैसे राज्यों में भी यही लागू होगा क्या?
ये तक कह दिया कि देश का किसान बिकाऊ है। दो-दो हजार रुपये की योजना के कारण किसानों के वोट खरीद लिए गए।
मैं मानता हूं कि मेरे देश का किसान बिकाऊ नहीं हो सकता। ऐसी बात कहकर देश के करीब 15 करोड़ किसान परिवारों को अपमानित किया गया है।
‘ओल्ड इंडिया बनाम न्यू इंडिया’
पीएम मोदी ने कहा कि आपको ओल्ड इंडिया चाहिए, जहां पत्रकार वार्ता में कैबिनेट के निर्णय को फाड़ दिया जाए।
आपको ओल्ड इंडिया चाहिए, जहां पूरी नौसेना को सैर सपाटे के लिए इस्तेमाल लिया जाए।
आपको ओल्ड इंडिया चाहिए, जहां जल, थल और नभ हर जगह घोटाले ही घोटाले हों।
लेकिन देश की जनता हिन्दुस्तान को पुराने दौर में ले जाने के लिए कतई तैयार नहीं है।
मैं हैरान हूं कि नकारात्मकता और विरोधाभास इस हद तक गया कि शौचालय, स्वच्छता, जनधन, योग का कार्यक्रम और यहां तक की मेक इन इंडिया का भी मजाक उड़ाया गया।
देश की जनता अपने सपनों के अनुरूप नए भारत की प्रतीक्षा कर रही है और हम सभी को सामूहिक प्रयासों से सामान्य मानवी के सपनों को पूरा करने का प्रयास करना चाहिए।