दिल्ली. भारत के टीकाकरण कार्यक्रम में रूसी वैक्सीन स्पूतनिक-V (Sputnik-V) की भी एंट्री हो गई है. इस लिहाज से भारत में नागरिकों को मिलने के लिए तैयार वैक्सीन की संख्या तीन हो गई है. शुक्रवार को हैदराबाद में इस वैक्सीन के पहले डोज दिए गए. साथ ही इस दौरान स्पूतनिक-V कीमतों का भी ऐलान किया गया है. फिलहाल भारत में कोविशील्ड और कोवैक्सीन (Covaxin) का इस्तेमाल किया जा रहा है. नई वैक्सीन के शामिल होने के साथ ही सवाल उठ रहा है कि आखिर कौन सा टीका सबसे ज्यादा असरदार होगा या इनके साइड इफेक्ट्स क्या होंगे?
कोविशील्ड
पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया में तैयार हुई ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की कोविशील्ड का इस्तेमाल दुनिया के 62 से ज्यादा देश कर रहे हैं. मीडिया रिपोर्ट् में जारी आंकड़े बताते हैं कि विश्व स्तर पर इस वैक्सीन की प्रभावकारिता दर यानि एफिकेसी रेट 70.4 फीसदी है. वहीं, हाल ही में सरकार ने इस वैक्सीन को और असरदार बनाने के लिए दो डोज के बीच अंतराल बढ़ा दिया है. नई जानकारी के मुताबिक, 14-16 हफ्ते के गैप से दिए जाने की सलाह दी गई है.
कोविशील्ड के इस्तेमाल के बाद लोगों में लालपन, बदन या बांह में दर्द, बुखार आना, थकान महसूस होना और मांसपेशियों के जकड़ने जैसे साइड इफेक्ट देखे गए हैं. हालांकि, कई देशों ने वैक्सीन के इस्तेमाल के बाद खून के थक्के जमने की शिकायत की थी. साथ ही अस्थआई रोक भी लगा दी थी. हालांकि, कई स्टडीज और जानकार ने इस वैक्सीन को सुरक्षित बताया है.
कोवैक्सीन
हैदराबाद स्थित फार्मा कंपनी में निर्मित कोवैक्सीन को भारत बायोटेक ने इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च और शनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी के साथ मिलकर तैयार किया है. मीडिया रिपोर्ट्स में जारी आंकड़ों के अनुसार, इस वैक्सीन का एफिकेसी रेट 81 प्रतिशत है. साथ ही कई जानकारों ने कोवैक्सीन को कोरोना वायरस के अलग-अलग वैरिएंट्स पर काफी असरदार बताया है. कहा जा रहा है कि कोवैक्सीन लेने के बाद लोग सूजन, दर्द, बुखार, पसीना आना या ठंड लगने, उल्टी, जुकाम, सिरदर्द और चकत्ते जैसे साइड इफेक्ट का सामना करना पड़ सकता है.
इस वैक्सीन के जरिए ऐसे पैथोजन्स जो खुद का गुणा नहीं कर सकते, उन्हें शरीर में इंजेक्ट किया जाएगा. फॉर्मेलीन जैसे कैमिकल्स की मदद से वैक्सीन इम्यून सिस्टम को कोरोना वायरस के खिलाफ एंटीबॉडीज बनाना सिखाएगी. इसमें निष्क्रिय वायरस को बहुत कम मात्रा में एल्युमीनियम आधारित कंपाउंड के साथ मिलाया गया है, जिसे एड्जुवेंट कहते हैं. यह इम्यून सिस्टम को वैक्सीन के साथ प्रतिक्रिया करने के लिए प्रेरित करता है.
स्पूतनिक-V
स्पूतनिक-V कोरोना वायरस के खिलाफ दुनिया में शुरू हुए वैक्सीन अभियान में मंजूरी पाने वाली शुरुआती वैक्सीन में से एक है. मीडिया रिपोर्ट्स में जारी जानकारी के अनुसार, इस वैक्सीन का प्रभावकारी दर 91.6 प्रतिशत है. एक स्टडी के अनुसार, स्पूतनिक-V को लेने के बाद लोगों को दर्द या फ्लू जैसे साइड इफेक्टर का सामना करना पड़ सकता है. फिलहाल इस वैक्सीन से जुड़ा कोई गंभीर मामला सामने नहीं आया है.