स्कूलों के आस-पास या बगल में शराब की दुकान को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है. हाईकोर्ट ने कहा है कि स्कूल के बगल पहले से शराब का ठेका है तो जरूरी नहीं हर साल उसका लाइसेंस बढ़ावा जाय. कोर्ट ने कानपुर नगर, आजाद नगर में स्थित सेठ एम आर जयपुरिया स्कूल के बगल में शराब के ठेके का लाइसेंस मार्च 25 के बाद बढ़ाने पर रोक लगा दी है.
ये आदेश मुख्य न्यायाधीश अरुण भंसाली तथा न्यायमूर्ति विकास बुधवार की खंडपीठ ने पांच वर्षीय छात्र मास्टर अथर्व की तरफ से दाखिल जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए दिया है. एल के जी के छात्र ने पिता के इस मामले में जनहित याचिका दायर करके स्कूल से 20 फीट की दूरी पर स्थित शराब ठेके को हटाने की मांग की थी. जिसे कोर्ट ने आंशिक रूप से स्वीकार कर लिया है.
क्या कहा याचिकाकर्ता ने?
याचिकाकर्ता का कहना था कि शासनादेश का उल्लंघन कर स्कूल के बगल में शराब के ठेके पर आए दिन होने वाले शराबियों के हुड़दंग से परेशानी होती है. कोर्ट ने राज्य सरकार से सवाल किए थे कि स्कूल के बगल में शराब के ठेके का नवीनीकरण हर साल कैसे होता जा रहा है.
वहीं इसके जवाब में सरकार ने कहा कि स्कूल बनने से पहले से ही वहां पर ठेका था और उपबंधों का हवाला दिया. कोर्ट ने व्याख्या करते हुए कहा कि लाइसेंस अवधि बीत जाने के बाद नवीनीकरण किया जाना जरूरी नहीं है. दुकान का लाइसेंस 31 मार्च 25 तक है, इसलिए उसके बाद में न बढ़ाया जाए.
कहां के है मामला?
दरअसल, मामला कानपुर नगर में चिड़ियाघर के पास स्थित आजाद नगर मोहल्ले से जुड़ा हुआ है. पांच साल का अथर्व दीक्षित आजाद नगर इलाके में स्थित सेठ एमआर जयपुरिया स्कूल में एल केजी का छात्र है. स्कूल से महज 20 मीटर की दूरी पर शराब का ठेका है. नियमानुसार स्कूल के आसपास शराब की दुकान का लाइसेंस नहीं दिया जा सकता.
याचिकाकर्ता का कहना है कि अक्सर यहां सुबह छह सात बजे से ही शराबियों का जमावड़ा लग जाता है. लोग शराब के नशे में यहां हुड़दंग करते हैं. स्कूल के पास रिहायशी बस्ती भी है, जहां सैकड़ों की संख्या में लोग रहते हैं.
परिवार वालों ने कानपुर के अफसरों से लेकर सरकार तक कई बार शिकायत की, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई. दलील दी गई कि यह स्कूल 2019 में खुला है, जबकि शराब का ठेका तकरीबन 30 साल पुराना है. इस पर अथर्व के अपने परिवार वालों ने उसके नाम से इलाहाबाद हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की थी.