मणिपुर में भीड़ ने एक एम्बुलेंस पर हमला कर दिया, जिसमें एक मैतेई समुदाय की महिला, उनके बेटे और रिश्तेदार की मौत हो गई. महिला की शादी कूकी समुदाय में हो रखी थी. वह गोली लगने से घायल अपने सात साल के बेटे को अस्पताल ले जा रही थी. एम्बुलेंस के साथ पुलिस की एक टीम भी थी. बावजूद इसके भीड़ ने उनपर हमला किया और तीन लोगों की जान ले ली. मामला पश्चिमी इम्फाल के इरोइसिम्बा इलाके का है. भीड़ ने घटना को रविवार शाम 7 बजे अंजाम दिया.
पुलिस ने एम्बुलेंस से शवों की कुछ हड्डियां बरामद की हैं. पिछले एक महीने से जारी हिंसा ने सैकड़ों जानें ली है. इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, रविवार को एक एम्बुलेंस में महिला अपने गोली से घायल मासूम बेटे को लेकर अस्पताल जा रही थी, जब भीड़ ने उन्हें रास्ते में घेर लिया. पुलिस की एक टीम उनके साथ थी. भीड़ ने एम्बुलेंस में आग लगा दी. महिला, उनका बेटा और उनकी रिश्तेदार एम्बुलेंस में ही थे. तीनों की जलकर मौत हो गई.
बेटा गोलीबारी में हुआ था घायल, ले जा रहे थे अस्पताल
पश्चिमी इम्फाल की इस घटना में पुलिस ने एक एफआईआर दर्ज की है, जिससे पता चला कि पुलिस को सिर्फ उनके शव की कुछ हड्डियां मिली. मृतकों की पहचान मीना हैंगिंग, उनका सात साल से भी कम उम्र का बेटा टॉमशिंग और मीना की रिश्तेदार लिडिया लौरेम्बम के रूप में हुई है. पीड़ितों के एक रिश्तेदार ने बताया कि उनका बेटा रविवार की गोलीबारी में घायल हो गया था. वे रीजनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस जा रहे थे, जब यह घटना हुई.
पश्चिमी इम्फाल में लगातार हो रही गोलीबारी
इम्फाल के पश्चिम में स्थित कांगचुप इलाके में कूकी समुदाय के कई गांव हैं. यह इलाका कांगपोपकी जिले में पड़ता है. यहां पास में ही एक मैतेई गांव फायेंग भी है. हालांकि, एम्बुलेंस में आगजनी कैसे हुई, पुलिस इसकी जांच करेगी. 27 मई को हिंसा के दूसरे चरण में यहां भाड़ी गोलीबारी देखी गई है. मणिपुर में सबसे पहले 3 मई को हिंसा भड़की थी. कुछ दिन हालात काबू में रहे, लेकिम फिर हिंसा तेज हो गई. इस बीच शांति कायम करने जद्दोजहद में गृह मंत्री अमित शाह ने भी राज्य का दौरा किया. इस दौरान उन्होंने पीड़ितों के कुछ कैम्प का दौरा भी किया. लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की.