दिल्ली. ‘निर्भया’ गैंगरेप और हत्या मामले (Nirbhaya Case) में चारों दोषियों की फांसी की सजा की तामील पर रोक को चुनौती देने वाली याचिका पर दिल्ली हाइकोर्ट (Delhi High Court) बुधवार को फैसला सुना सकता है. केंद्र सरकार ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा था कि सभी दोषियों को अलग-अलग फांसी दी जा सकती है. जिन दोषियों की दया याचिका (Mercy Petition) राष्ट्रपति खारिज कर चुके हैं, उन्हें फांसी पर लटकाया जा सकता है. बता दें कि दोषी खुद को बचाने के लिए अलग-अलग दया याचिका राष्ट्रपति के पास दायर कर रहे हैं. लीगल रेमिडीज़ के नाम पर देरी कर रहे हैं. ये केवल डिले टैक्टिक्स है और कुछ नहीं.
मामले की सुनवाई के दौरान दो फरवरी को केंद्र सरकार के वकील सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट से ये भी कहा था कि निर्भया गैंगरेप और हत्या मामले के दोषी कानून के तहत मिली सजा के अमल में विलंब करने की सुनियोजित चाल चल रहे हैं. वहीं, दोषियों के वकील एपी सिंह और दोषी मुकेश की वकील रेबेका जॉन ने केंद्र सरकार की याचिका पर ऐतराज जताया था. रेबेका जॉन ने कहा था कि दोषी मुकेश की याचिका सुप्रीम कोर्ट ने देरी के आधार पर नहीं बल्कि मेरिट के आधार पर खारिज की है. वहीं मंगलवार को निर्भया की मां आशा देवी ने भी हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस की बेंच के सामने मेंशनिंग कर ये मांग उठाई थी कि फैसला जल्द सुनाया जा सकता है