तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन की ओर से हिंदी भाषा को लेकर पिछले दिनों केंद्र की मोदी सरकार की आलोचना के बाद गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि वह अंग्रेजी के खिलाफ नहीं हैं. बल्कि वह चाहते हैं कि भारत में बच्चों को अपनी-अपनी मातृभाषा के साथ-साथ हिंदी भी सीखनी चाहिए. साथ ही उन्होंने देश की ढेरों मूल भाषाओं को संरक्षित भी किया जाना चाहिए.
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह अहमदाबाद में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टीचर एजुकेशन (IITE) के दीक्षांत समारोह के दौरान ग्रेजुएट छात्रों को संबोधित कर रहे थे. अमित शाह ने ग्रेजुएट कर रहे छात्रों से संस्कृत भाषा, उपनिषदों और वेदों में उपलब्ध ज्ञान के भंडार का इस्तेमाल करने का भी अनुरोध किया.
मातृभाषा में बच्चों को पढ़ाया जाएः शाह
गृह मंत्री ने अपने भाषण में कहा कि वह अंग्रेजी भाषा के खिलाफ नहीं हैं, क्योंकि भारत एक ऐसा देश है, जहां कोई भी प्रकार के ज्ञान का विरोध कर ही नहीं सकता. उन्होंने कहा, “ये आपकी जिम्मेदारी है कि सभी भारतीय भाषाओं को संरक्षित और संवर्धित रखा जाए क्योंकि उनमें हमारी इतिहास के अलावा संस्कृति, साहित्य और व्याकरण भी शामिल हैं. साथ ही हमें अपनी भाषा को भी मजबूत बनाना है. राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का एक खास पहलू बच्चों को उनकी मातृभाषा में पढ़ाना-लिखाना है.”
अमित शाह ने अन्य देशी भाषाओं को सीखने पर जोर देते हुए कहा, “मेरा मानना है कि बच्चों को अंग्रेजी भाषा के साथ-साथ अन्य फ्रेंच, जर्मन जैसी विदेशी भाषाओं को भी सीखना चाहिए, लेकिन गुजरात के बच्चे को गुजराती और हिंदी दोनों ही भाषाएं सीखनी चाहिए, असम के लोगों को असमिया भाषा और हिंदी दोनों सीखनी चाहिए. इसी तरह तमिलनाडु के लोगों को तमिल और हिंदी दोनों सीखनी चाहिए. अगर इस तरह की परंपरा बनती है, तो फिर हमारे देश को आगे बढ़ने से कोई नहीं रोक सकता.”
वेद और संस्कृत ज्ञान के भंडारः शाह
गृह मंत्री शाह ने कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री हुआ करते थे तब उन्होंने इस संस्थान (IITE) का गठन किया था जिसका उद्देश्य पूर्वी और पश्चिमी शैक्षिक दर्शन को एक साथ लाना था. उन्होंने कहा, संस्कृत उन चार पेपर में से एक है, जो आपको पढ़ाए जाते हैं… मैं आपसे अनुरोध करूंगा कि आपने यहां संस्कृत का जो भी बुनियादी ज्ञान प्राप्त किया है, उसमें संवर्धन करें. पूरी दुनिया में यदि कोई एक जगह है, जहां ज्ञान का भंडार एकत्र किया गया है, तो वह हमारे उपनिषद, वेद और संस्कृत हैं. एक बार जब आप इनका अध्ययन कर लेंगे, तो जीवन की कोई भी समस्या आपके लिए समस्या नहीं रहेगी.
शाह ने कहा कि वेद हमें यह सिखाते हैं कि अच्छे विचारों को ग्रहण करने को लेकर यह बिल्कुल भी नहीं सोचना चाहिए कि ये ज्ञान कहां से आया है. उन्होंने कहा कि शिक्षा का मतलब बच्चे को सही रास्ता दिखाना और उसका मार्गदर्शक बनना है. संस्थान से कुल 2,927 छात्रों ने स्नातक किया