मुंबई: महाराष्ट्र के स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने कहा है कि महाराष्ट्र में कोरोना की दूसरी लहर के दौरान एक भी मरीज की मृत्यु ऑक्सीजन की कमी की वजह से नहीं हुई है. हमने ऐसा एफिडेविट कोर्ट में दिया है. महाराष्ट्र में जितना ऑक्सीजन चाहिए था, हमने उतना ऑक्सीजन दिया है. हमने ऑक्सीजन इंडस्ट्री से निकालकर लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन के लिए दिया है. उन्होंने कहा कि राज्य में ऑक्सीजन की बर्बादी नहीं की गई है. हमने ऑक्सीजन का सही इस्तेमाल किया है. स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि दूसरी लहर के दौरान महाराष्ट्र में ऑक्सीन की सप्लाई के लिए प्रोपर मैनेजमेंट किया गया, जिस वक्त 65 हजार मरीज महाराष्ट्र में आ रहे थे, उस वक्त भी सही तरीके से इंतजाम किया गया. ईश्वर की कृपा से राज्य में ऑक्सीजन की कमी से एक मरीज की भी मौत नहीं हुई है.
बता दें कि इसी तरह केंद्र सरकार की तरफ से भी संसद में कहा गया है कि देश में ऑक्सीजन की कमी से एक मरीज की भी मौत नहीं हुई है. राज्यसभा में मंगलवार को दिए लिखित जवाब में स्वास्थ्य राज्य मंत्री भारती प्रवीण पवार ने कहा था कि स्वास्थ्य राज्य का विषय है और राज्य केंद्र सरकार को नियमित तौर पर कोरोना के मामले और मौतों की जानकारी देते रहते हैं. लेकिन राज्यों ने ऑक्सीजन की कमी को लेकर केंद्र सरकार को कोई विशेष आंकड़ा नहीं दिया है. वहीं, स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने संसद को बताया कि प्रधानमंत्री जी लगातार राज्यों से कहते रहे हैं कि कोरोना से हुई मौतों का रजिस्टर किया जाए, छिपाने का कोई कारण नहीं है. यह राज्यों की जिम्मेदारी है. हम राज्यों की ओर से प्रदान किए गए डेटा को संकलित करते हैं. केंद्र सरकार को यही करना होता है.
इसी बीच, ऑक्सीजन की कमी से हुई मौत का कोई भी आंकड़ा राज्यों से नहीं मिलने को लेकर केंद्र सरकार को विपक्षी दलों ने निशाने पर लिया है. जबकि दूसरी लहर के पीक पर रहने के दौरान अस्पतालों में मरीजों की मौत की कई बड़ी घटनाओं ने दुनिया भर का ध्यान भारत की ओर खींचा था. आम आदमी पार्टी, कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने इस मुद्दे पर सरकार को घेरा है. दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने बुधवार को कहा कि ऑक्सीजन की कमी से देश में बहुत सारी मौतें हुईं. दिल्ली में भी ऐसा वाकया देखने को मिला. यह कहना एकदम गलत है कि ऑक्सीजन की कमी से कोई मौत नहीं हुई. अगर ऐसा नहीं हुआ होता तो अस्पताल हाईकोर्टों का दरवाजा क्यों खटखटाते. केंद्र सरकार तो यह भी कह सकती है कि देश में कोई महामारी आई ही नहीं.