दल ही नहीं राहुल गांधी और अखिलेश यादव के दिल भी मिले, दोनों पार्टियों के मेनिफेस्टो हैं गवाह

समाजवादी पार्टी ने ‘अपना अधिकार’ नाम से अपना घोषणा पत्र जारी किया है. अखिलेश यादव ने लखनऊ में पार्टी ऑफिस में विस्तार से इसके बारे में बताया. इससे पहले कांग्रेस ने न्याय पत्र नाम से अपना मेनिफेस्टो जारी किया था. कांग्रेस और सपा इंडिया गठबंधन में हैं. यूपी के लिए दोनों पार्टियों ने सीटों का तालमेल भी कर लिया है. दोनों के मेनिफेस्टो में कई चीजें कॉमन हैं.

कांग्रेस की तरह ही समाजवादी पार्टी ने भी लोकतंत्र और संविधान बचाने का वादा किया है. दोनों ही पार्टियों के घोषणा पत्र में जातिगत जनगणना कराने की बात कही गई है. इसके लिए 2025 की समय सीमा भी दी गई है. सपा का तो इस बार के चुनाव के लिए नारा भी PDA है. इसका मतलब पिछड़ा, दलित और मुसलमान. कांग्रेस की तरह सपा ने प्राइवेट सेक्टर में नौकरियों में आरक्षण की बात कही है.

कांग्रेस ने तो आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत से बढ़ाने का वादा किया है. दोनों ही पार्टियों का फ़ोकस सरकारी नौकरी पर है. फर्क बस इतना है कि समाजवादी पार्टी ने कांग्रेस की तरह इस मामले में कोई संख्या नहीं बताई है. कांग्रेस ने हर साल तीस लाख सरकारी नौकरी का वादा किया है. कांग्रेस ने पढ़े लिखे बेरोज़गारों को एक साल तक एक लाख रुपये देने का वादा किया है.

कांग्रेस की तरह सपा ने एजेंडा नहीं बनाया
समाजवादी पार्टी ने कांग्रेस की तरह किसानों के लिए दिल खोल कर वादे किए हैं. किसानों की कर्ज माफ़ी का वादा दोनों तरफ़ से किया गया है. फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य मतलब MSP देने की गारंटी दोनों तरफ से की गई है. इसके लिए कानून बनाने की बात कही गई है. ये बात अलग है कि कांग्रेस की तरह सपा ने बीजेपी सरकार को भ्रष्टाचार के नाम पर घेरने का एजेंडा नहीं बनाया है. कांग्रेस ने तो नोटबंदी तक की जांच कराने का भरोसा दिया है.

मनरेगा पर दोनों पार्टियों का फ़ोकस है. जिसे कभी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भ्रष्टाचार का अड्डा बताया था. कांग्रेस ने मनरेगा की मज़दूरी बढ़ाकर 400 रुपये करने का वादा किया है. सपा ने कहा है कि सरकार बनी तो हम मज़दूरी बढ़ाकर 450 कर देंगे. साल में 150 दिन कम से कम मज़दूरी देने का वादा किया गया है. अभी मज़दूरी में 357 रुपये मिलते हैं.

महिलाओं को नौकरियों में 33 प्रतिशत आरक्षण
कांग्रेस और सपा ने महिलाओं के लिए भी कई वादे किए हैं. महिला वोटरों की बढ़ती ताक़त ने राजनीतिक दलों को नीति और नीयत बदलने पर मजबूर कर दिया है. कांग्रेस ने भी सरकारी नौकरियों में महिलाओं को आरक्षण देने को अपने एंजेडे पर रखा है. सपा ने महिलाओं को सरकारी नौकरियों में 33 प्रतिशत आरक्षण देने की बात कही है.

अखिलेश यादव ने मुख्यमंत्री रहते बच्चों को लैपटॉप देने की योजना शुरू की थी. वो अब इसे देश भर में लागू करना चाहते हैं. अखिलेश यादव ने ग़रीबी रेखा से नीचे की महिलाओं को हर महीने तीन हज़ार रूपये पेंशन देने की घोषणा की है. दोनों पार्टियों ने भारतीय सेना में अग्नि वीर योजना बंद करने का ऐलान किया है. कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के घोषणा पत्रों को देखने से ऐसा लगता है जैसे दोनों दलों के दिल भी अब मिल गए हैं.

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