नौकरियों में अनदेखी के विवाद में अब अखिलेश यादव की एंट्री, किया बड़ा दावा

अखिलेश यादव को मौका मिला तो मौके पर ही समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष ने चौका जड़ दिया. राजनीति में सारा खेल तो समय और अवसर का ही है. लोकसभा चुनाव के बाद से ही अखिलेश यादव का अच्छा समय चल रहा है. दूसरी तरफ से एनडीए कैंप ने उन्हें अच्छा अवसर भी दे दिया. आरक्षण को लेकर इन दिनों यूपी के एनडीए कैंप में घमासान मचा है. मामला OBC और SC कोटे के लोगों को सरकारी नौकरियों में आरक्षण का है. बीजेपी के सहयोगी दलों की तरफ से योगी सरकार पर आरक्षण की अनदेखी के आरोप लग रहे है. अब अखिलेश यादव भी इस विवाद में कूद पड़े हैं.

लोकसभा चुनाव में झंडा गाड़ने के बाद अखिलेश यादव के हौसले सातवें आसमान पर हैं. उन्हें लगता है कि PDA का फार्मूला यूपी की सत्ता में वापसी करा सकती है. इसीलिए वे इस हिट फार्मूले के असर को बनाए रखना चाहते हैं. अनुप्रिया पटेल की चिट्ठी और फिर संजय निषाद के बयान ने उन्हें ये मुद्दा थमा दिया है. तो वे पूरी ताकत से योगी सरकार के खिलाफ एजेंडे पर आ गए हैं.

पीडीए परिवारों के साथ भेदभाव का आरोप
उन्होंने कहा कि जब से बीजेपी दिल्ली और यूपी की सरकार में आई है, पीडीए परिवार के साथ भेदभाव हो रहा है. अखिलेश यादव ने कहा कि पीडीए, बहुजन समाज, अल्पसंख्यक, पिछड़े या फिर दलित समाज के लोग जिन्हें आरक्षण की वजह से जीवन जीने को मिलता था, उस आरक्षण के साथ लगातार सरकार खिलवाड़ कर रही है.

संयोग देखिए जो आरोप अखिलेश यादव के हैं, वही बात तो अनुप्रिया पटेल ने लेटर में लिखा है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को लिखी चिट्ठी में उन्होंने नौकरियों में ओबीसी और एससी कोटे को जनरल कैटेगरी में बदलने का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि योग्य उम्मीदवार ने मिलने के बहाने पिछड़ों और दलितों को मिलने वाली नौकरी सामान्य वर्ग को दे दी जाती है.

अनुप्रिया पटेल ने लगाया था अनदेखी का आरोप
अनुप्रिया पटेल का आरोप है कि इंटरव्यू के बाद मिलने वाली नौकरी में ऐसा किया जा रहा है. यूपी सरकार की तरफ से इनके लेटर का जवाब भी आ गया है. सरकार की चिट्ठी में अनुप्रिया के एक एक आरोपों को खारिज कर दिया गया है. अनुप्रिया पटेल मोदी सरकार में राज्य मंत्री हैं. वे अपना दल की अध्यक्ष हैं. अपना दल पिछले ग्यारह सालों से एनडीए में है. बीजेपी से समझौते में अपना दल को लोकसभा की दो सीटें मिली थीं. इस चुनाव में पार्टी एक सीट पर हार गई.

इस बार के लोकसभा चुनाव में यूपी में बीजेपी की 29 सीटें कम हो गई हैं. कहा जा रहा है कि पिछड़े और दलित वोटरों का एक बड़ा हिस्सा इंडिया गठबंधन में शिफ्ट कर गया. अपना दल यूपी में कुर्मी वोटरों की नुमाइंदगी करती है. इस बार कुर्मी वोटरों की पहली पसंद अखिलेश यादव हो गए. अब अपना दल की कोशिश अपना बेस वोट बचाने की है.

संजय निषाद ने भी आरक्षण पर तोड़ी चुप्पी
अब यही चिंता संजय निषाद की है. वे निषाद पार्टी के अध्यक्ष हैं और योगी सरकार में मंत्री हैं. वे कहते हैं कि जब योगी जी सांसद थे तब कहते थे निषादों को एससी कोटे में रिजर्वेशन मिलना चाहिए. अब वे मुख्यमंत्री हैं लेकिन इस बात पर चर्चा तक नहीं होती है. संजय निषाद चाहते हैं कि संविदा पर मिलने वाली नौकरी में भी आरक्षण की व्यवस्था हो. आरक्षण को लेकर एनडीए के घटक दलों के बीजेपी पर हमले से समाजवादी पार्टी कैंप गदगद है. उसे तो जैसे मन की मुराद मिल गई है.

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