अब राजा का बेटा राजा नहीं बनेगा… उद्धव ठाकरे पर बरसे एकनाथ शिंदे, बोले- हमें नौकर समझा

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने दावा किया है कि उन्होंने शिवसेना से इसीलिए बगावत की क्यों कि उद्धव ठाकरे ने बाल ठाकरे की विचारधारा को त्याग दिया था. उन्होंने ये भी कहा कि उद्धव ठाकरे हमें घरेलू सहायक समझने लगे थे. नागपुर के रामटेक में शिवसेना कार्यकर्ताओं की एक बैठक को संबोधित करते हुए सीएम शिंदे ने कहा कि वो मुख्यमंत्री नहीं बनना चाहते थे लेकिन बाल ठाकरे की विचारधारा से समझौता होते देख उन्हें विद्रोह करना पड़ा.

बैठक में मुख्यमंत्री शिंदे ने शिवसेना से हुई बगावत पर खुलकर बात की. शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे पर तंज करते हुए उन्होंने कहा कि बालासाहेब ठाकरे हमें यानी पार्टी के लोगों को दोस्त की तरह मानते थे लेकिन उद्धव ऐसे नहीं थे वो हमें घर का नौकर समझने लगे थे. शिंदे ने उद्धव पर बालासाहेब जो शिवसेना के संस्थापक थे उनकी विचारधारा से भटकने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि बाल ठाकरे की विचारधारा से समझौता होता देख उन्होंने पार्टी से विद्रोह किया.

राजा का बेटा राजा नहीं बनेगा, जो काम करेगा वही राजा बनेगा’
सीएम एकनाथ शिंदे ने कहा कि वो महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री हैं बावजूद इसके वो एक एक कार्यकर्ता के रूप में काम करते हैं. उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी में कोई नौकर या कोई मालिक नहीं है. बल्कि सभी लोग एक-दूसरे के सहयोग से काम कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी में राजा का बेटा ही राजा बनेगा ऐसा नहीं है बल्कि जो काम करेगा वहीं राजा बनेगा.

NDA के पक्ष में करें मतदान,मोदी को बनाएं प्रधानमंत्री’
इसके आगे सीएम शिंदे ने कहा कि एक पार्टी तब आगे बढ़ती है जब नेता घर पर बैठने के बजाय जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं तक पहुंचते हैं. बैठक में उन्होंने पीएम नरेंद्र मोदी को तीसरी बार देश की कमान सौंपने की अपील की. उन्होंने नरेंद्र मोदी को एक बार फिर से प्रधानमंत्री बनाने के लिए सत्तारूढ़ गठबंधन के पक्ष में मतदान करने का आग्रह किया. इसके साथ ही शिंदे ने विपक्षी गठबंधन महाविकास आघाड़ी पर निशाना साधते हुए कहा कि विपक्ष के विकास का कोई एजेंडा नहीं है.

शिवसेना से बगावत कर एनडीए में हुए थे शामिल
गौरतलब है कि एकनाथ शिंदे ने शिवसेना से बगावत करते हुए एनडीए में शामिल होने का फैसला किया था और महाराष्ट्र में सरकार बनाई. उनके साथ पार्टी के कई विधायकों ने भी शिवसेना का साथ छोड़ दिया था. जिससे उद्धव को तगड़ा झटका लगा था. उस दौरान महाराष्ट्र की सियासत में काफी बवाल मचा था. शिवसेना दो गुटों में बंट गई एक गुट उद्धव का तो दूसरा गुट शिंदे का बन गया था.

आपको बता दे कि सात चरणों में होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए मतदान 19 अप्रैल से शुरू होगा. वहीं बात करें महाराष्ट्र की तो सूबे की 48 लोकसभा सीटों पर पांच चरणों में मतदान होना है. 19 अप्रैल को पहले चरण में रामटेक, नागपुर, भंडारा-गोंदिया, गढ़चिरौली-चिमूर और चंद्रपुर की सीटों पर वोटिंग होगी.

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