विदेश मंत्रालय ने जम्मू-कश्मीर के मसले पर पाकिस्तान की बौखलाहटों पर कहा है कि पड़ोसी देश इसलिए परेशान है कि अब उसे आतंकवाद का प्रसार करने में मदद नहीं मिलेगी। कश्मीर मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र में जाने की पाकिस्तान की धमकी पर विदेश मंत्रालय ने कहा कि पीओके भी हमारा है और हमारे आंतरिक मामले को यूएन में उठाने का पाकिस्तान के पास कोई आधार ही नहीं है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने शुक्रवार को अपनी साप्ताहिक प्रेस ब्रीफिंग में कहा कि यह पूरी तरह से भारत का आंतरिक मामला है और पाकिस्तान डर का माहौल फैलाना चाहता है। कुमार ने कहा कि पाकिस्तान इसलिए परेशान है कि अगर जम्मू और कश्मीर का विकास हुआ तो वह वहां के लोगों को गुमराह नहीं कर पाएगा।
पाकिस्तान को भारत के आंतरिक मामलों में दखल न देने की नसीहत देते हुए कुमार ने कहा, ‘भारत के संप्रभु मामले में बेवजह के विषयों को पाकिस्तान जोड़ रहा है। हमने कई विदेशी सरकारों और संस्थानों को इस संबंध में बताया है और अपनी स्थिति से अवगत कराया है। हमने बताया है कि कश्मीर में हमने क्या किया है और यह हमारा आंतरिक मामला है। हमने सभी देशों और संगठनों को इस बारे में जानकारी दी है। पाकिस्तान को हकीकत को स्वीकार करना चाहिए और अन्य देशों के मामलों में दखल नहीं देना चाहिए।’
कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान के संयुक्त राष्ट्र में जाने के धमकी पर रवीश कुमार ने कहा कि हमारे आंतरिक मामले को संयुक्त राष्ट्र में उठाने का उसे अधिकार ही नहीं है। पीओके भी हमारा हिस्सा है। जब उनसे पूछा गया कि पाकिस्तान अगर यूएन में जाता है तो क्या भारत वहां पीओके और वहां के लोगों पर अत्याचार का मुद्दा उठाएगा, तो कुमार ने कहा कि यह स्ट्रैटिजी सार्वजनिक तौर पर शेयर नहीं की जा सकती। उन्होंने कहा, ‘मुझे नहीं लगता कि पाकिस्तान के पास हमारे आंतरिक मामले को संयुक्त राष्ट्र में उठाने का कोई अधिकार है।’
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने आर्टिकल 370 पर सरकार द्वारा लिए गए फैसले को जम्मू और कश्मीर के हित में बताया। उन्होंने पाकिस्तान द्वारा भारत के साथ राजनयिक संबंधों को घटाने, व्यापार और समझौता एक्सप्रेस बंद करने को एकतरफा फैसला करार दिया और उससे इस पर पुनर्विचार की अपील की। उन्होंने कहा कि हम उनसे इसकी सिर्फ गुजारिश कर सकते हैं।