दिल्ली हाईकोर्ट ने एक याचिका को खारिज करते हुए कहा भारतीय मतदाताओं के दिमाग को कम मत आंकिए. वे बहुत होशियार हैं. दरअसल उच्च न्यायलय में 20 मार्च को चुनाव आयोग और गृह मंत्रालय को राहुल गांधी, अखिलेश यादव और अरविंद केजरीवाल के खिलाफ कार्रवाई करने के निर्देश देने की मांग पर एक याचिका लगाई गयी थी. इसमें कथित तौर पर केंद्र सरकार के खिलाफ भ्रामक और झूठे बयान देने और भारत की विश्वसनीयता को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाया गया था. हालांकि सुनवाई करते हुए कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया है.
इस याचिका में कि राहुल गांधी, अखिलेश यादव और अरविंद केजरीवाल के उन बयानों का जिक्र किया गया है जिनमें केंद्र सरकार द्वारा उद्योगपतियों के करीब 16 लाख करोड़ के कर्ज़ माफ करने का दावा किया गया था. दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य कार्यवाहक न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा की खंडपीठ ने यह टिप्पणी करते हुए याचिका खारिज कर दी कि भारतीय मतदाताओं की समझदारी को कम करके नहीं आंका जा सकता है, वे जानते हैं कि कौन सच बोल रहा है और कौन झूठ.
कोर्ट ने की ये टिप्पड़ी
कोर्ट ने आगे टिप्पणी करते हुए कहा कि देश के लोग भी जानते हैं कि कौन उनका नेतृत्व कर रहा है और कौन उन्हें गुमराह कर रहा है ? कोर्ट ने कहा कि भारतीय मतदाताओं के दिमाग को कम मत आंकिए. वे बहुत होशियार हैं. वे जानते हैं कि कौन सच बोल रहा है और कौन नहीं. याचिका की सुनवाई करते हुए चीफ एक्टिंग जस्टिस मनमोहन ने कहा कि अगर कोई उद्योगपति या कोई अन्य व्यक्ति विपक्षी नेताओं द्वारा दिए गए बयानों से परेशान है, तो उनके पास कोर्ट में जाने और उचित कार्रवाई करने का साधन है लेकिन किसी तीसरे पक्ष द्वारा जनहित याचिका की जरूरत नहीं है.
मतदाताओं को कम ना आंके
कोर्ट ने आगे कहा कि इस मामले में किसी आदेश की आवश्यकता नहीं है और याचिकाकर्ता के पक्ष में अधिकार क्षेत्र के सिद्धांत में ढील नहीं दी जा सकती. पीठ ने आदेश देते हुए कहा कि कोर्ट का मानना है कि जिन उद्योगपतियों और लोगों के खिलाफ मानहानि के आरोप लगाए गए हैं. उनके पास कोर्ट में जाने और उचित कार्यवाही दायर करने के सभी साधन है. इस कोर्ट का मानना है कि मौजूदा स्थिति में अधिकार क्षेत्र के सिद्धांत में ढील की जरूरत नहीं है. साथ ही न्यायालय का यह भी मानना है कि याचिकाकर्ता भारतीय मतदाता की समझदारी को कम आंक रहा है. इसलिए, इस कोर्ट का यह भी मानना है कि वर्तमान याचिका में किसी आदेश की आवश्यकता नहीं है और इसे बंद किया जाता है.
इस शख्स ने दायर की याचिका
ये याचिका सुरजीत सिंह यादव नाम के शख्स ने दायर की थी. उन्होंने दावा किया कि वे एक किसान और सामाजिक कार्यकर्ता हैं. विपक्षी नेताओं के बयानों के परिणामस्वरूप भारत की नकारात्मक छवि बनी है और देश और केंद्र सरकार की विश्वसनीयता कम हुई है. याचिकाकर्ता ने दावा किया है कि ये बयान विदेशी निवेश और पर्यटन को प्रभावित कर सकते हैं और अराजकता को भी बढ़ावा दे सकते हैं.