मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव की सियासी जंग जीतने के लिए बीजेपी और कांग्रेस सहित सभी पार्टियों ने पूरी ताकत झोंक दी है. बीजेपी के पक्ष में माहौल बनाने के लिए पीएम मोदी और अमित शाह हरसंभव कोशिश कर रहे हैं तो कांग्रेस की वापसी के लिए गांधी परिवार भी मैदान में उतर गया है. नरेंद्र मोदी गुरुवार को एक तरफ जबलपुर से मध्य प्रदेश के महाकौशल इलाके को साधते हुए नजर आएंगे तो दूसरी तरफ प्रियंका गांधी धार से मालवा-निमाड़ बेल्ट के सियासी समीकरण को कांग्रेस के पक्ष में करने की कवायद करेंगी. इस तरह प्रियंका गांधी और पीएम मोदी दोनों ही आदिवासी समुदाय के वोटों को अपने-अपने पक्ष में करने के लिए उतर रहे हैं. देखना है कि आदिवासी समुदाय का विश्वास कौन जीत पाता है?
पीएम मोदी मध्य प्रदेश के जबलपुर में आदिवासी वीरांगना रानी दुर्गावती की 500वीं जयंती पर आयोजित कार्यक्रम में शिरकत करेंगे. इस दौरान मोदी वीरांगना रानी दुर्गावती के 100 करोड़ की लागत से बनने वाले स्मारक के शिलान्यास करने के साथ-साथ 12 हजार करोड़ के विकास कार्यों की सौगात से नवाजेंगे. महाकौशल अंचल के आदिवासी वोटरों के लिहाज से पीएम मोदी का यह दौरा बेहद अहम माना जा रहा है. दुर्गावती के जरिए अदिवासी के विश्वास को दोबारा से जीतने और हिंदुत्व की सियासत को धार देने की रणनीति मानी जा रही है. रानी दुर्गावती अपनी मातृभूमि और आत्मसम्मान की रक्षा हेतु अपने प्राणों का बलिदान दिया था.
महाकौशल में किसके पास, कितनी सीटें हैं?
महाकौशाल क्षेत्र में जबलपुर, कटनी, छिंदवाड़ा, सिवनी, नरसिंहपुर, मंडला, डिंडौरी और बालाघाट जैसे जिले हैं. पिछले विधानसा चुनाव में इस क्षेत्र में बीजेपी का प्रदर्शन काफी खराब रहा था. महाकौशल क्षेत्र में कुल 46 विधानसभा सीटें आती हैं, जिनमें से कांग्रेस ने 28 सीटों पर जीत दर्ज की थी और बीजेपी को 17 सीटें मिली थी. वहीं, एक सीट पर निर्दलीय कैंडिडेट की जीत हुई थी. इस क्षेत्र में आदिवासियों के लिए आरक्षित 13 सीटों में से 11 कांग्रेस के पास हैं, जबकि सिर्फ दो सीटों पर बीजेपी के विधायक हैं. वहीं, अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित 3 सीटें भी कांग्रेस के पास हैं.
कांग्रेस ने 2018 में छिंदवाड़ा और डिंडौरी जिलों में बीजेपी का पूरी तरफ सफाया कर दिया था. कटनी में बीजेपी का प्रदर्शन ठीक रहा था, जहां पार्टी के 3 विधायक हैं. पार्टी प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा और चार बार के विधायक राकेश सिंह जबलपुर के ही रहने वाले हैं. राकेश सिंह को बीजेपी ने इस बार विधानसभा के चुनाव में उतारा है और अब पीएम मोदी विकास की सौगात से बीजेपी के खिसके जनाधार को दोबारा से वापस लाने की कवायद करते हुए नजर आएंगे.
बीजेपी क्यों कर रही महाकौशल पर फोकस?
महाकौशल पर बीजेपी ने अपना पूरा फोकस लगा रखा है ताकि कमलनाथ को उनके घर में घेरा जा सके. 2018 के चुनाव में कमलनाथ की अगुवाई में पार्टी ने इस क्षेत्र में बेहतरीन प्रदर्शन किया था. 2019 लोकसभा चुनाव में छिंदवाड़ा से कांग्रेस जीत सकी थी. बीजेपी के महाकौशाल क्षेत्र में आदिवासी वोटों के खिसकने की वजह से हार का सामना करना पड़ा था. इसके बाद से बीजेपी ने कमलनाथ को उनके घर में ही घेरने की रणनीति पर काम कर रही है. इसकी शुरुआत मार्च महीने में ही हुई, जहां गृह मंत्री अमित शाह ने बड़ा कार्यक्रम किया था. पार्टी के तमाम बड़े नेता भी महाकौशल भेजे गए हैं.
प्रियंका गांधी मालवा साधने उतरेंगी
कांग्रेस ने भी मध्य प्रदेश में अपनी पूरी ताकत लगा रखी है. राहुल गांधी के बाद अब प्रियंका गांधी गुरुवार को मालवा क्षेत्र के समीकरण साधने उतर रही हैं. प्रियंका गांधी धार जिले के मोहनखेड़ा से आदिवासी समुदाय के विश्वास को जीतने उतरेंगी. प्रियंका जैन समाज के तीर्थ स्थल मोहनखेड़ा में दर्शन कर ट्रस्ट के प्रतिनिधियों द्वारा आयोजित समारोह में शामिल होंगी. इसके बाद वो आदिवासी जननायक टंट्या मामा की प्रतिमा के अनावरण कार्यक्रम में भाग लेकर चुनावी हुंकार भरेंगी.
प्रियंका गांधी की राजगढ़ रैली में इंदौर सहित 9 जिलों में आने वाली 5 लोकसभा और 41 विधानसभा सीटों के पदाधिकारियों को बुलाया गया है. इसमें विधायक, पूर्व विधायक और पूर्व सांसद शामिल हैं. हर जिले को ज्यादा से ज्यादा लोगों को लाने का टारगेट दिया गया है. इस तरह से एक लाख लोगों की भीड़ जुटाने का टारगेट रखा गया है. प्रियंका आदिवासी बहुल मोहनखेड़ा में रैली से मालवा को साधने की रणनीति है. इससे पहले प्रियंका जबलपुर से महाकौशल और ग्वालियर से चंबल को साधने के लिए उतर चुकी हैं और अब मालवा में उनका दौरा लगा है.
उन्होंने जबलपुर से ही पार्टी की संकल्प यात्रा शुरू की थी. उन्होंने गोंड-आदिवासी समाज को फोकस करते हुए कई वादे किए हैं. वह मालवा दौरे पर होंगी, जहां कांग्रेस की संकल्प यात्रा के समापन पर राहुल गांधी पहुंचे थे. विधानसभा चुनाव में मालवा क्षेत्र खासा राजनीतिक महत्व रखता है. मालवा-निमाड़ में कांग्रेस के पास 36 सीटें हैं जबकि बीजेपी के पास 28 सीटें हैं. निमाड़ की दो सीटों पर निर्दलीय विधायक हैं. मालवा बेल्ट आदिवासी बहुल माना जाता है. ऐसे में राहुल गांधी और अब प्रियंका की रैली कराए जाने के सियासी मकसद को समझा जा सकता है.
मध्य प्रदेश की 47 आदिवासी सीटों पर बीजेपी-कांग्रेस का फोकस
मध्य प्रदेश में आदिवासी समुदाय काफी अहम है. राज्य की कुल 230 सीटों में से 47 सीटें आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित हैं, लेकिन उनका प्रभाव 80 से ज्यादा सीटों पर है. 2018 के चुनाव में आदिवासी वोटरों के छिटकने के चलते ही भाजपा को सत्ता गंवानी पड़ गई थी. पिछले चुनाव में 47 में से 30 सीटें कांग्रेस ने जीती और 16 सीटें बीजेपी के खाते में गईं जबकि एक सीट निर्दलीय के खाते में गई थी. आदिवासी समुदाय एमपी में मालवा-निमाड़ में सबसे अहम माने जाते हैं. आदिवासी समुदाय के लिए सुरक्षित 47 सीटों में से मालवा-निमाड़ में 22 सीटें हैं.
आदिवासी वोटों को लेकर दोनों ही दलों की चिंता की बड़ी वजह यह है कि आदिवासी समुदाय का रुझान फिलहाल बेहद नकारात्मक दिख रहा है. इसी के चलते बीजेपी ने अपने दोनों दिग्गज नेता पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह को एक साथ आदिवासी वोटरों को साधने के लिए उतार दिया है. वहीं, दूसरी तरफ कांग्रेस भी प्रियंका गांधी और राहुल गांधी को आदिवासियों के बीच उतार रही है. पिछले चुनाव के इन आंकड़ों से साफ है कि मालवा-निमाड़ में कांग्रेस-बीजेपी लगभग आमने सामने की स्थिति में है.