प्रधानमंत्री अगर देश के किसी भी हिस्से में दौरे पर जाते हैं तो उनकी सुरक्षा के साथ-साथ राज्य सरकार की जिम्मेदारी बनती है कि वो सारी व्यवस्थाएं करें. जैसे कि पीएम काफिला जहां से गुजरेगा वो रूट मैप, कहां पर कितनी फोर्स तैनात होगी. किस मार्ग से पीएम गुजरेंगे और भी बहुत सारे मापदंड अपनाए जाते हैं मगर 5 जनवरी 2022 को पीएम मोदी की सुरक्षा में भारी चूक हुई थी.
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने भी जांच कमेटी का गठन किया था. जिसकी रिपोर्ट में पंजाब के कई अधिकारियों को दोषी ठहराया गया था. अब मान सरकार इन अधिकारियों पर कार्रवाई करने की योजना बना रही है. पीएम मोदी 5 जनवरी 2022 को बठिंडा एयरपोर्ट से राष्ट्रीय शहीद स्मारक फिरोजपुर जा रहे थे. सड़क रास्ते से उनका काफिला रवाना हुआ. इसके बाद आधे घंटे तक उनका काफिला फ्लाइओवर में रुका रहा. ये वो दौर था जब किसान आंदोलन खत्म हुआ था.
किसानों ने जाम कर दिया था रास्ता
किसानों का गुस्सा सरकार पर था. किसानों ने वो रूट जाम कर दिया था. लेकिन वहां पर पंजाब पुलिस हालात को नियंत्रित नहीं कर पाई. इसके बाद कहीं जाकर पुलिस से किसानों को वहां से भगाया तब पीएम का काफिला आगे बढ़ पाया था. उस वक्त सीएम चरणजीत सिंह चन्नी सीएम थे. कांग्रेस की सरकार थी. बीजेपी ने इस मामले में सीएम का इस्तीफा तक मांगा था.
पीएम मोदी की सुरक्षा में चूक
सोमवार को सीएम मान ने पीएम मोदी की सुरक्षा चूक मामले में पूर्व डीजीपी एस चट्टोपाध्याय, फिरोजपुर रेंज के तत्कालीन DIG इंदरबीर सिंह और फिरोजपुर के तत्कालीन एसएसपी हरमनदीप सिंह हंस के खिलाफ कार्रवाई का आदेश दे दिया है. पहले तो इन अधिकारियों ने एक्सप्लेनेशन मांगा जाएगा. इसके लिए उनको वक्त दिया जाएगा. इसके बाद इनके जवाबों की जांच की जाएगी तब इन पर कठोर कार्रवाई हो सकती है.
सीएम मान ने दिया कार्रवाई का आदेश
सीएम मान के आदेश में इसके अलावा उस वक्त ADGP LAW And Order नरेश अरोडा, तत्कालीन एडीजीपी साइबर क्राइम जी नागेश्वर राव, तत्कालीन आईजीपी पटियाला रेंज मुखविंदर सिंह छिना, राकेश अग्रवाल, डीआईजी फरीदकोट सुरजीत सिंह (रिटायर), एसएसपी मोगा चरणजीत सिंह से पूछा गया है कि सुप्रीम कोर्ट जांच समिति की रिपोर्ट के अनुसार उनके खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं शुरू करनी चाहिए.
जांच कमेटी ने अधिकारियों को दोषी पाया
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट जांच कमेटी ने इन अधिकारियों को दोषी पाया है. जानकारी के मुताबिक ऐसे मामलों में अगर वो अधिकारी अभी भी सेवा दे रहा है तो उसको सस्पेंड किया जा सकता है, उसका डिमोशन हो सकता है. लेकिन अगर कोई अधिकारी रिटायर हो चुका है तो उसकी पेंशन में कटौती की जा सकती है.
कांग्रेस की थी सरकार, मुद्दा काफी गरमाया
पीएम सुरक्षा का मामला उस वक्त बहुत गरमाया था. कांग्रेस में भी उथल पुथल के बाद चरणजीत सिंह चन्नी को सीएम बनाया गया था. कांग्रेस के इस फैसले ने सबको चौका दिया था. नवजोत सिंह सिद्धू और कैप्टन अमरिंदर सिंह के बीच भयंकर तनातनी थी. इसी का नतीजा था कि अगले चुनावों में कांग्रेस यहां धराशायी हो गई. बीजेपी ने प्रदर्शन किए. पीएम का काफिला आधे घंटे तक कहीं रुकना गंभीर मामला है. वो भी ऐसे वक्त पर जब कि किसानों का प्रदर्शन चरम पर था. कुछ ही दिन पहले पीएम के ऐलान के बाद दिल्ली की सीमाओं से किसान एक साल बाद अपने घर लौटे थे.