मध्य प्रदेश में चुनाव प्रचार प्रसार की कमान प्रियंका गांधी ने संभाली हुई है. मगर बड़ा सवाल ये है की आखिर राहुल गांधी ने एमपी से दूरी क्यों बनाई हुई है? मध्यप्रदेश में 17 नवंबर को मतदान होना है. ऐसे में कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही पार्टियां प्रचार में पूरा ज़ोर लगा रही है. कांग्रेस की तरफ़ से प्रियंका गांधी ने मोर्चा संभाला हुआ है. प्रियंका लगातार मध्य प्रदेश में चुनावी रैलियां कर रही हैं.
प्रियंका ने सबसे पहले 12 जून को जबलपुर में रैली कर चुनाव अभियान का आगाज किया था. इसके बाद 21 जुलाई को ग्वालियर में सभा की थी. 5 अक्टूबर को मोहनखेड़ा और 12 अक्टूबर को मंडला में प्रियंका गांधी की सभा हो चुकी हैं. 28 अक्टूबर को छतरपुर में सभा कर चुकी हैं. इसके अलावा आगे भी प्रियंका गांधी की ही रैलियां होंगी. 8 नवंबर को सांवेर और 9 नवम्बर को खाते गांव में चुनावी जनसभा होगी.
MP में राहुल गांधी की अब तक दो ही रैली
प्रियंका के भाई और कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी की महज दो ही सभा अब तक एमपी में हुई है. 30 सितंबर को राहुल कालापीपल में सभा करने पहुंचे. वहीं 10 अक्टूबर को शहडोल के ब्यौहारी में सभा को संबोधित कर चुके हैं.
राहुल गांधी किस मुंह से एमपी आएंगे?
उधर, इस मामले में बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा का कहना है कि राहुल गांधी किस मुंह से एमपी आएंगे. उनका झूठ एमपी की जनता 2018 के चुनाव में देख चुकी है. उन्होंने कहा था 10 दिन में किसान कर्जमाफी होगी अगर नहीं हुई तो सीएम बदल देंगे. ना तो कर्ज माफी हुई ना सीएम बदला दूसरी तरफ कांग्रेस में अब गांधी कमलनाथ कांग्रेस और दिग्विजय कांग्रेस हो चुकी है. यहां सब अपना अपना देख रहे हैं.
राहुल गांधी ने 2018 में मध्य प्रदेश चुनाव की कमान संभाली थी. वो लगातार प्रचार प्रसार करते हुए दिखाई देते थे. मध्य प्रदेश में सितंबर 2018 से ही राहुल ने मंदिरों में आना-जाना शुरू कर दिया था और वोटिंग के दिन तक उन्होंने ये भी बता दिया कि उनका गोत्र क्या है.
राहुल गांधी का 2018 का एमपी दौरा
28 सितंबर को चित्रकूट के मंदिर
6 अक्टूबर को नर्मदा की आरती,
7 अक्टूबर को विश्वकर्मा मंदिर भोपाल,
15 अक्टूबर को दतिया की मां पीतांबरी पीठ और ग्वालियर के गोपाल मंदिर
16 अक्टूबर को ग्वालियर के ही अचलेश्वर मंदिर
29 अक्टूबर को उज्जैन के महाकाल मंदिर गए थे.
कमलनाथ और राहुल गांधी के रिश्ते में खटास?
इसके अलावा राहुल लगातार रोड शो करते हुए दिखाई दिए थे. अब आपको बताते हैं कि आख़िर राहुल ने एमपी से दूरी क्यों बनाई है? इसका सबसे बड़ा कारण है कमलनाथ और राहुल गांधी के रिश्ते बेहतर ना होना. कमलनाथ वो नेता है जो राजीव गांधी के मित्र थे. राहुल गांधी युवाओं पर फ़ोकस ज़्यादा करते हैं. एमपी में टिकट वितरण भी कमलनाथ के अनुसार ही हुआ है.
दूसरी तरफ़ जहां कांग्रेस के जीतने की ज़्यादा उम्मीद है वहां प्रियंका गांधी को कमान दी गई है. प्रियंका गांधी और कमलनाथ दोनों की राजनीतिक सोच भी मिलती है. वहीं, कांग्रेस नेता अब्बास हफ़ीज़ का इस पूरे मामले पर कहना है कि प्रियंका गांधी लगातार आ रही है, इससे बीजेपी डरी हुई है. बीजेपी अपने नेताओं की फ़िक्र करे की आख़िर उमा भारती क्यों चुनाव से गायब है.
अमित शाह एक एक माह में क्यों आ रहे है. उनके इतने दौरे क्यों रद्द हो रहे है. 2018 के चुनाव में राहुल गांधी के एमपी आने का सबसे बड़ा कारण उनके मित्र ज्योतिरादित्य सिंधियाभी थे. दोनों नेता जमकर प्रचार करते थे . ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीजेपी में जाने के बाद राहुल गांधी एमपी में कम ही रुची दिखाते हैं.