दिल्ली: फ्रांस के साथ हुए राफेल विमान की डील मामले में आज सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट ने राफेल डील की जांच के मामले में दाखिल पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि रिव्यू का स्कोप सीमित होता है. वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी की माफी भी स्वीकार कर ली है.
बेवजह जांच का आदेश देने की जरूरत नहीं- सुप्रीम कोर्ट
राफेल डील की जांच के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमने पहले भी इस मामले पर विस्तृत सुनवाई की और इस बार भी, इसलिए सुप्रीम कोर्ट के फैसले का भी सम्मान किया जाना चाहिए. हमें नहीं लगता कि राफेल विमान सौदा मामले में प्राथमिकी दर्ज करने या बेवजह जांच का आदेश देने की जरूरत है.
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, ‘‘हमने पाया कि पुनर्विचार याचिकाएं सुनवायी योग्य नहीं हैं.’’ पीठ में न्यायमूर्ति एस के कौल और न्यायमूर्ति के एम जोसेफ भी शामिल थे.
राहुल गांधी की पीएम मोदी पर टिप्पणी दुर्भाग्यपूर्ण- सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट के जज संजय किशन कौल ने कहा है कि राहुल गांधी के खिलाफ किसी एएफआई की जरूरत नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि दुर्भाग्यपूर्ण है कि बिना पुष्टि के आरोपी राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बारे में सुप्रीम कोर्ट के हवाले से ऐसी बात कही. वह भविष्य में ध्यान रखें. इतने ज़िम्मेदार राजनीतिक स्थिति वाले व्यक्ति को सावधान रहना चाहिए. दरअसल सुप्रीम कोर्ट के फैसले के हवाले से कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने पीएम मोदी के लिए ‘चौकीदार चोर है’ का बयान दिया था. इस मामले में अवमानना की कार्रवाई झेल रहे राहुल गांधी ने मई में सुप्रीम कोर्ट में बिना शर्त माफी मांग ली थी.
पुनर्विचार याचिका में क्या कहा गया था?
बता दें कि फ्रांस के साथ 36 राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद के सौदे को चुनौती देने वाली याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल 14 दिसंबर को खारिज कर दिया था. कोर्ट ने माना था कि सौदा देशहित में है. इसमें किसी तरह की कोई गड़बड़ी नहीं हुई. इसी के खिलाफ याचिकाकर्ता यशवंत सिन्हा, अरुण शौरी और प्रशांत भूषण ने एक पुनर्विचार याचिका दाखिल की थी. आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने भी एक पुनर्विचार याचिका दाखिल की. इन याचिकाओं में कहा गया है कि सरकार ने सौदे के बारे में सीलबंद लिफाफे में कोर्ट को जो जानकारी दी थी, उसमें गलत तथ्य थे. उनके आधार पर कोर्ट ने जो निष्कर्ष निकाला वो भी गलत था. सौदे की जांच होनी चाहिए.