सुप्रीम कोर्ट ने मनी लॉन्ड्रिंग केस में M3M के निदेशक बसंत और पंकज बंसल को जमानत दे दी. शीर्ष अदालत ने मामले की सुनवाई करते हुए पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें ईडी द्वारा गिरफ्तारी और रिमांड को रद्द करने से इन्कार कर दिया गया था. अपने आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केवल रिमांड का आदेश पारित करना गिरफ्तारी के आधार को मान्य करने का पर्याप्त आधार नहीं है.
मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश एएस बोपन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने 11 सितंबर को फैसला सुरक्षित रख लिया था. पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट की ओर से 20 जुलाई को दिए गए फैसले के खिलाफ यह याचिका बंसल बंधुओं की ओर से दाखिल की गई थी, जिसमें हाईकोर्ट ने मामले को गंभीर मानते हुए बंसल बंधुओं की जमानत याचिका खारिज कर दी थी.
यह है मामला
पंकज और बसंत पंकज को ईडी ने एक रिश्वत मामले से जुड़ी जांच के दौरान गिरफ्तार किया था. यह मामला एक पूर्व न्यायाधीश सुधीर परमार और उनके भतीजे और एम3एम समूह के निदेशक रूप कुमार बंसल के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी से संबंधित है. मामले में पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट आरोपी सुधीर परमार को पहले ही निलंबित कर चुका है. मामले में बंसल बंधुओं के खिलाफ आरोप साबित करने के लिए ईडी की ओर से बैंक स्टेटमेंट और मनी ट्रेल जैसे सबूत लगाए गए थे.
सुप्रीम कोर्ट ने आदेश में क्या कहा?
फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सीआरपीसी के सेक्शन 167 का अनुपालन आवश्यक रूप से किया जाना चाहिए. मामले में ईडी द्वारा गिरफ्तारी का आधार पेश करने में समान प्रथा का पालन नहीं किया गया, जबकि मनी लॉन्ड्रिंग पर अंकुश लगाने में ईडी की कार्रवाई निष्पक्ष मानी जाती है, प्रतिशोधात्मक नहीं.
ईडी का यह था आरोप
मामले में ईडी का आरोप था कि M3M ग्रुप के निदेशक रूप कुमार बंसल, बसंत और पंकज बंसल जांच पड़ताल से बचते रहे. एजेंसी कई सालों से आइरियो समूह के खिलाफ धन एक जगह से दूसरी जगह लगाने और निवेशकों से मिले पैसे का दुरुपयोग करने की जांच कर रही है. इसी जांच के दौरान ये पता चला कि इस ग्रुप के जरिए भी भेजे जा रहे थे, दोनों कंपनियों के बीच 400 करोड़ रुपये की मनी ट्रेल मिलने का भी दावा किया गया था.