सेम जेंडर मैरिज पर कल सुप्रीम कोर्ट फैसला सुनाने जा रहा है. इस बीच कई लोगों के मन में कई तरह के सवाल आ रहे हैं कि क्या यह जरूरी है, क्या हमारा देश इसके लिए तैयार है? खैर अगर भारत में सेम जेंडर मे शादी करना लीगल होता है तो हम दुनिया के 33 वें देश होंगे जिसने इसे लीगल किया है. दुनिया के 32 देशों मे सेम जेंडर मैरिज को कानूनी मान्यता मिल चुकी है. सबसे पहले इस तरह के रिश्ते को स्वीकार करने और उन्हें शादी की परमीशन देने वाला देश नीदरलैंड था.
हाल ही में अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने भी सेम जेंडर मैरिज को कानूनी तौर पर लीगल कर दिया है. अमेरिकी संसद ने इस तरह की शादियों से संबंधित बिल पाक सिया था जिसमें इसे सामान्य शादियों की तरह ही मान्यता दी गई थी. इस बिल के पास होने के बाद राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा था कि, प्यार-प्यार होता है. उन्होंने इस बिल को पास करते हुए खुशी जाहिर की थी और कहा था कि इस बिल के पास होने के बाद अब अमेरिका का युवा जो कि LGBTQ समुदाय से है वह अपने लिए एक खुशहाल जीवन चुन सके और अपने परिवार को बना सके.
क्या है सेम जेंडर मैरिज
दरअसल कई लोग इसे गे मैरिज के नाम से भी जानते हैं लेकिन यह नाम पूरा नहीं है इसके लिए. सेम जेंडर जिसमें लड़की अपनी पसंद की लड़की से या लड़के अपने पसंद के लड़के से या फिर जिनका जेंडर एक हो उनकी शादी को ही सेम जेंडर मैरिज कहते हैं. भारत में फिलहाल इस तरह की शादियों के लिए किसी तरह का कोई कानून प्रावधान नहीं है. हालांकि इस तरह के रिश्तों को लेकर पहले ही हमारे यहां कोर्ट का आदेश आ चुका है कि संबंध रखे जा सकते हैं अगर दोनों की रजामंदी के साथ हों तो. अब सुप्रीम कोर्ट में इस तरह की कई याचिकाओं पर सुनवाई के बाद यह फैसला सुनाया जाएगा.
22 साल पहले बना था पहला कानून
दुनिया के 32 देश ऐसे हैं जो कि समलैंगिक विवाहों को मान्यता दे चुके हैं. इस कड़ी में सबसे पहले नीदरलैंड का नाम आता है. नीदरलैंड में 1 अप्रैल 2000 में इसकी मान्यता दे दी गई थी. बता दें कि सेम मैरिज जेंडर को मान्यता देने वाले ज्यादातर देश यूरपीय या दक्षिण अमेरिकी हैं. भारत में भी सभी की निगाहें सुप्रीम कोर्ट पर टिकी हुई हैं. इसका फैसला कल यानी शुक्रवार को होना है.