महाराष्ट्र (Maharashtra) में एकनाथ शिंद (Eknath Shinde) गुट ने इसी साल 30 जून को बीजेपी (BJP) के साथ सरकार बनाने के बाद शिवसेना (Shiv Sena) पार्टी के नाम और निशान (Shiv Sena Symbol) पर दावा ठोक दिया था. जिसके बाद मामला पहले चुनाव आयोग (Election Commission), फिर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) और फिर चुनाव आयोग में पहुंच गया. दरअसल, शिदे गुट दावा कर रहा है कि वह असली शिवसेना है और उसे पार्टी का नाम और निशान मिलना चाहिए.
शिदे गुट के इस दावे के खिलाफ शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने सुप्रीम कोर्ट का रूख किया था. पिछले 27 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ ने ठाकरे की अर्जी खारिज कर दी और कहा कि शिवसेना के नाम और निशान पर किसका अधिकार होगा, इसका फैसला निर्वाचन आयोग करेगा.
सर्वे में सामने आया यह रिजल्ट
क्या शिवसेना का नाम और निशान शिदे गुट को मिलना चाहिए? एबीपी न्यूज के लिए सर्वे सी-वोटर ने साप्ताहिक सर्वे में यह सवाल लोगों से पूछा, जिसका चौंकाने वाला रिजस्ट सामने आया है. 51 फीसदी लोगों ने कहा कि शिवसेना का नाम और निशान शिंदे गुट को मिलना चाहिए जबकि 49 फीसदी लोगों ने ‘नहीं’ में जवाब दिया. इस सर्वे में 4,427 लोगों से बात की गई. बता दें कि सर्वे के नतीजे पूरी तरह से लोगों से मिले जवाब पर आधारित हैं, इसके लिए एबीपी न्यूज जिम्मेदार नहीं है.
तीन बिंदुओं पर टकराव
उद्धव ठाकरे गुट और राज्य की सत्ता पर काबिज गुट के बीच मुख्य तौर पर तीन बिंदुओं पर टकराव है. पहला यह कि असली शिवसेना कौन है? दूसरा- पार्टी का चुनाव चिन्ह किसके पास रहेगा? तीसरा यह कि शिंदे गुट संवैधानिक हैं या नहीं? प्रधान न्यायाधीश यूयू ललित ने मामले की सुनवाई के लिए पांच सदस्यीय संविधान पीठ गठित की थी, जिनमें जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस एमआर शाह, जस्टिस कृष्ण मुरारी, जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस नरसिम्हा शामिल किए गए थे. पिछले 23 अगस्त को मामला सुप्रीम कोर्ट की संविधान को सौंपा गया था. तीन बार सुनवाई टल गई. आखिर 27 सितंबर को हुई सुनवाई में शीर्ष अदालत की संविधान पीठ ने ठाकरे की अर्जी खारिज कर दी.
अब सबकी निगाहें इसी पर टिकी है कि चुनाव आयोग क्या फैसला करता है. शीर्ष अदालत की पिछली सुनवाई के बाद शिंदे गुट ने निर्वाचन आयोग को कोर्ट के निर्देश की जानकारी देते हुए मामले पर जल्द फैसला लेने के लिए पत्र लिखा था