हरियाणा में कांग्रेस से नहीं मिलेगी सपा को सीट, महाराष्ट्र में भी सस्पेंस.. अब क्या करेंगे अखिलेश?

अखिलेश यादव के समाजवादी पार्टी को राष्ट्रीय दर्जा दिलाने के मिशन को झटका लगता दिख रहा है. पहले हरियाणा में कांग्रेस ने इंडिया गठबंधन के तहत सपा को सीट देने से इनकार कर दिया है, वहीं अब महाराष्ट्र की भी तस्वीर धुंधली हो गई है. हाल ही में महाराष्ट्र में सीट बंटवारे के लिए बुलाई गई महाविकास अघाडी दलों की बैठक में सपा को आमंत्रित नहीं किया गया. दिलचस्प बात है कि यह मीटिंग उन इलाकों की सीट बंटवारे को लेकर बुलाई गई थी, जहां महाराष्ट्र में सपा सबसे ज्यादा मजबूत स्थिति में है.

हुड्डा ने कहा- सपा को सीट नहीं देंगे
हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के कद्दावर नेता भूपिंदर सिंह हुड्डा ने सपा के साथ गठबंधन की संभावनाओं को खारिज किया है. हुड्डा ने कहा कि आम आदमी पार्टी और समाजवादी पार्टी का गठबंधन केंद्र स्तर पर है, इसलिए हरियाणा विधानसभा चुनाव में इन दोनों के साथ कांग्रेस गठबंधन नहीं करेगी.सीट शेयरिंग के सवाल पर हुड्डा ने कहा कि कांग्रेस खुद सभी सीटों पर लड़ने में सक्षम है और किसी भी सहयोगियों को एक भी सीट नहीं देगी. हरियाणा में समाजवादी पार्टी विस्तार अभियान के तहत कम से कम आधा दर्जन सीटों पर लड़ना चाहती है. सपा ने हाल ही में इन सीटों का विवरण कांग्रेस हाईकमान को दिया था.

महाराष्ट्र में भी सपा को लेकर सस्पेंस
महाराष्ट्र में समाजवादी पार्टी को इंडिया गठबंधन के तहत शामिल किया जाएगा या नहीं, इस पर भी सस्पेंस बरकरार है. हाल ही में इंडिया गठबंधन ने मुंबई की सीटों को लेकर एक बड़ी बैठक बुलाई थी. इस बैठक में सिर्फ तीन पार्टियों कांग्रेस, शिवसेना (उद्धव) और एनसीपी (शरद) के ही नेता मिले. बैठक में सपा को नहीं बुलाया गया था. सपा मुंबई रीजन में ही सबसे मजबूत स्थिति में है. सपा इन इलाकों की करीब एक दर्ज सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी में है. पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अबु आसिम आजमी भी मुंबई के ही मानखुर्द विधानसभा से विधायक हैं. मुंबई में विधानसभा की 36 सीटें हैं, जिसमें से 20 सीटों पर शिवसेना (उद्धव) ने दावा किया है. उद्धव की पार्टी का कहना है कि उसे 2019 में यहां की 14 सीटों पर जीत मिली थी. कांग्रेस और एनसीपी का भी दावा 10-10 से कम सीटों पर नहीं है.

अखिलेश को प्लान को झटका?
लोकसभा चुनाव 2024 में समाजवादी पार्टी ने ऐतिहासिक प्रदर्शन करते हुए यूपी की 37 सीटों पर जीत दर्ज की. पार्टी को 3 सीटों पर काफी करीबी मुकाबले में हार मिली. लोकसभा के इस परिणाम के बाद अखिलेश ने हरियाणा और महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव लड़ने की रणनीति पर काम शुरू कर दिया. अखिलेश ने इसके लिए महाराष्ट्र में अपने दिग्गज नेता इंद्रजीत सरोज को प्रभारी बनाकर भेज रखा है. अखिलेश की कोशिश इन राज्यों में सपा के प्रदर्शन के बूते पार्टी को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा दिलाने की है. सपा वर्तमान में लोकसभा में तीसरी सबसे बड़ी पार्टी है, लेकिन उसके पास राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा प्राप्त नहीं है. इसे हासिल करने के लिए सपा को आने वाले वक्त में चार राज्यों के विधानसभा चुनाव में 6 प्रतिशत वोट हासिल करना होगा. सपा की कोशिश इंडिया गठबंधन के सहारे इसे हासिल करने की है, लेकिन जिस तरह से हरियाणा में हुड्डा ने सीट देने से इनकार किया है और महाराष्ट्र में उसके इंडिया गठबंधन में शामिल होने को लेकर सस्पेंस बना हुआ है, उससे अखिलेश के प्लान को झटका लग सकता है.

अब क्या करेंगे अखिलेश यादव?
हरियाणा में हुड्डा के बयान के बाद समाजवादी पार्टी के नेताओं ने चुप्पी साध ली है. पार्टी इस विवाद को हाईकमान स्तर पर सुलझाने की कोशिशों में जुटी हुई है. कहा जा रहा है कि अखिलेश ने कांग्रेस हाईकमान को उन सीटों से अवगत भी करा दिया है, जिस पर सपा लड़ना चाहती है. आगे का जो भी फैसला होगा, वो कांग्रेस हाईकमान के निर्णय के बाद ही होगा.

2023 के विधानसभा चुनाव में सपा मध्य प्रदेश में कांग्रेस के साथ मिलकर लड़ना चाहती थी, लेकिन उस वक्त भूपिंदर हुड्डा की तरह ही कांग्रेस के अध्यक्ष कमलनाथ ने दो टूक कह दिया कि सपा को सीट नहीं देंगे. सपा ने इसके बाद 71 सीटों पर उम्मीदवार उतार दिए. कमलनाथ के ऐलान के बाद अखिलेश ने मध्य प्रदेश में 24 रैलियां की थी. इन रैलियों में अखिलेश के निशाने पर बीजेपी से ज्यादा कांग्रेस ही थी. मध्य प्रदेश के इस विधानसभा चुनाव में अखिलेश को तो एक भी सीट पर जीत नहीं मिली, लेकिन सपा की वजह से मध्य प्रदेश विधानसभा की 4 सीटें कांग्रेस जरूर हार गई. ये सीटें निवाड़ी, राजनगर, ओरछी और चांदला की थी.

यूपी में 10 सीटों पर उपचुनाव भी
उत्तर प्रदेश में विधानसभा की 10 सीटों पर उपचुनाव प्रस्तावित है. कांग्रेस इन 10 में से कम से कम 3 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है. कांग्रेस गाजियाबाद सदर, खैर और फूलपुर सीट पर चुनाव लड़ना चाहती है.
हालांकि, कहा जा रहा है किअगर सपा को महाराष्ट्र और हरियाणा में सीटें नहीं मिलती है तो इस बात की संभावनाएं कम ही है कि सपा कांग्रेस को उपचुनाव में एक भी सीट दे.

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