रेलवे की जमीन पर अतिक्रमण मामले में बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि देशभर में उसे वंदे भारत जैसी स्पेशल ट्रेन और लंबी दूरी की ट्रेन शुरू करनी है. यात्रियों की सुविधा के लिए स्टेशनों का विस्तार करना है, उन्हें आधुनिक बनाना है. ऐसे में रेलवे स्टेशनों के पास रेलवे की जमीन पर अतिक्रमण हटाना उसके लिए अनिवार्य है. सरकार ने हल्द्वानी में रेलवे की जमीन पर अवैध कब्जे के मामले में सर्वोच्च अदालत में आवेदन दाखिल कर कहा है कि उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र में हल्द्वानी स्टेशन ही एक विकल्प है, जिसका विस्तार किया जा सकता है.
केंद्र ने कहा है कि देशभर में बड़े पैमाने पर रेलवे की जमीन पर अवैध कब्जा है. उत्तर प्रदेश और बिहार में 25 हजार हेक्टेयर से ज्यादा भूमि पर अवैध कब्जा है, जबकि उत्तराखंड में 4365 हेक्टेयर भूमि पर लोगों ने कब्जा कर रखा है. ऐसे में रेलवे अपनी भूमि का उपयोग नहीं कर पा रहा है.
हाईकोर्ट के आदेश पर लगाई गई रोक हटाने की मांग
सुप्रीम कोर्ट से सरकार अतिक्रमण हटाने के हाईकोर्ट के आदेश पर लगाई गई रोक हटाने की मांग लगातार कर रही है. क्योंकि 5 जनवरी को दिए गए अंतरिम आदेश के चलते हल्द्वानी स्टेशन के विस्तार संबंधी योजना पिछड़ रही है. अंतरिम आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने 29 एक्ट भूमि से अतिक्रमण हटाने के हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी थी. साथ ही इसे मानवीय मुद्दा करार दिया था.
उस वक्त सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा था कि 50 हजार लोगों को रातों-रात नहीं हटाया जा सकता है. रेलवे के मुताबिक उसकी जमीन पर 4365 परिवारों ने अवैध कब्जा कर रखा है, जबकि प्रतिपक्ष का दावा है कि वे जमीन के असली मालिक हैं.
रेलवे स्टेशनों के आधुनिकीकरण का प्लान तैयार
सुप्रीम कोर्ट में दाखिल आवेदन में केंद्र ने विवादित क्षेत्र की तस्वीरें और अखबार की खबरों को भी दस्तावेज के तौर पर दाखिल किया है. रेलवे के आधुनिकीकरण के मद्देनजर सरकार देश के हर एक राज्य में वंदे भारत जैसी स्पेशल ट्रेन और लंबी दूरी की ट्रेन चलाना चाहती है, जिसके लिए रेलवे स्टेशनों के विस्तार और आधुनिकीकरण का प्लान भी तैयार है. लेकिन अवैध कब्जों के चलते सबकुछ रुक गया है. आवेदन में सरकार ने इसका जिक्र भी किया है.
सुप्रीम कोर्ट ने लगा रखी है अंतरिम रोक
रेल मंत्रालय इस मामले में पहले ही हलफनामा दाखिल कर साफ कर चुका है कि अतिक्रमण के बदले पुनर्वास या मुआवजा मुहैया कराने की कोई नीति या प्रावधान नहीं है. याद रहे कि हाईकोर्ट ने गोला नदी में अवैध खनन के मद्देनजर जुलाई, 2008 में सुनवाई शुरू की थी. रेलवे का पक्ष जानने और उचित मानने के बाद ही नैनीताल हाईकोर्ट ने अतिक्रमण हटाने का आदेश जारी किया था, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम रोक लगा रखी है.
शीतकालीन अवकाश के बाद जनवरी में होगी सुनवाई
इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट शीतकालीन अवकाश के बाद जनवरी में सुनवाई कर सकता है. गौरतलब है कि एकतरफ रेलवे जहां इस जमीन पर अवैध कब्जा होने का दावा कर रहा है तो दूसरी तरफ अमुक जमीन के उनके होने संबंधी दस्तावेज पेश कर रहे हैं.