उच्चतम न्यायालय ने गुरुवार को पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष के खिलाफ दर्ज मानहानि मामले में फैसला सुनाते हुए उनकी माफी को स्वीकार कर लिया है। अदालत ने राहुल गांधी के खिलाफ अवमानना की प्रक्रिया को बंद कर दिया है। साथ ही ऐसे लोगों को चेतावनी दी है, जो बिना सोचे-समझे सुप्रीम कोर्ट के फैसले से अपने राजनीतिक हित साधते हैं। अदालत ने राहुल गांधी को भविष्य के लिए चेताया। आपको बता दें कि ‘चौकीदार चोर है’ बयान पर राहुल ने माफी मांग ली थी।
शीर्ष अदालत ने राहुल गांधी के माफीनामे को स्वीकर करते हुए राहुल गांधी को नसीहत दी कि भविष्य में कोर्ट से जुड़े किसी भी मामले में किसी भी प्रकार का राजनीतिक भाषण देने में सतर्कता बरतें। अदालत ने राफेल मामले को लेकर मोदी सरकार पर हमला बोलते हुए शीर्ष अदालत का नाम लिया था। जिसे लेकर ही पूरा विवाद था।
मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस के एम जोसेफ की पीठ ने राहुल गांधी के खिलाफ अवमानना कार्यवाही के लिए लंबित इस मामले पर 10 मई को सुनवाई पूरी कर ली थी। अदालत ने राहुल गांधी को भविष्य में अदालत से जुड़े किसी भी मामले में किसी भी तरह का राजनीतिक भाषण देने में सतर्कता बरतने के लिए कहा है।
राहुल गांधी की तरफ से अदालत में पेश हुए वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने पीठ से कहा था कि कांग्रेस नेता ने शीर्ष अदालत के हवाले से टिप्पणी करने को लेकर माफी मांग ली है। वहीं भाजपा नेता की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा था कि राहुल की माफी को अस्वीकार करना चाहिए और उनके खिलाफ कानून के अनुसार कार्रवाई की जानी चाहिए।
बता दें कि यह याचिका भाजपा सांसद मीनाक्षी लेखी ने उनके खिलाफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर की गई टिप्पणी चौकीदार चोर है मामले में दर्ज कराई थी। उन्होंने इस अवमानना याचिका को उच्चतम न्यायालय से जोड़कर दाखिल किया थी।
अदालत ने इसपर सुनवाई के बाद 10 मई को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। पूर्व की सुनवाई में अदालत ने राहुल गांधी की इस टिप्पणी को गलत ठहराया था। राहुल गांधी ने इस बयान को लेकर अदालत से इसे ‘गैर-इरादतन, गैर-इरादतन और अनजाने में दिया गया’ बताते हुए माफी भी मांगी थी।