नई दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के शाहीन बाग (Shaheen Bagh) से CAA और NRC विरोधी प्रदर्शनकारियों को हटाने की याचिकाओं पर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में सुनवाई हुई. मामले की सुनवाई कर रही सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस केएम जोसेफ की पीठ ने कहा कि, ‘हम इस याचिका के दायरे का विस्तार करने नहीं जा रहे हैं. हम केवल शाहीन बाग क्षेत्र में विरोध प्रदर्शन पर सुनवाई करेंगे. हमने वार्ताकारों से इस बारे में पूछा है. उन्होंने जो रिपोर्ट सौंपी है, उसमें किंतु-परंतु हैं. कोर्ट उनकी रिपोर्ट को देखेगी.’
हम पुलिस को हतोत्साहित नहीं कर सकते: तुषार मेहता
कोर्ट ने कहा कि, शाहीन बाग में चल रहे प्रदर्शन से जुड़ी याचिका की सुनवाई के लिए अनुकूल माहौल नहीं है. साथ ही मामले की सुनवाई को 23 मार्च तक के लिए टाल दिया है. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इसका विरोध किया. उन्होंने दलील दी कि, हम पुलिस को हतोत्साहित नहीं कर सकते. गोली से दिल्ली पुलिस के एक हवलदार की मौत हुई है. DCP बुरी तरह घायल हैं.
‘सार्वजनिक जगह’ प्रदर्शन की जगह नहीं होती: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 13 से ज्यादा लोगों की मौत हुई है. यह बेहद गंभीर विषय है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ‘सार्वजनिक जगह’ प्रदर्शन की जगह नहीं होती. पुलिस अपना काम करे. कभी-कभी परिस्थिति ऐसी आ जाती है कि आउट ऑफ द बॉक्स जा कर काम करें.
पुलिस की प्रोफेशनलिज्म में कमी है
जस्टिस केएम जोसेफ ने कहा कि, ‘जिस पल एक भड़काऊ टिप्पणी की गई, पुलिस को कार्रवाई करनी चाहिए थी. दिल्ली ही नहीं, उस मामले के लिए कोई भी राज्य हो. 13 जिंदगी छोटी नहीं है. पुलिस को कानून के अनुसार काम करना चाहिए. यह दिक्कत पुलिस की प्रोफेशनलिज्म में कमी की है. कोर्ट ने कहा कि मौजूदा याचिका में दिल्ली में हुई हिंसा के मामले को शामिल नहीं करेंगे. उस विषय पर अलग से याचिका दाखिल की जा सकती है. कोर्ट ने आगे कहा कि इस मामले में दिल्ली हाईकोर्ट पहले ही पुलिस को नोटिस जारी कर चुका है