नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 (CAA) के खिलाफ देशभर में दाखिल 200 से ज्यादा याचिकाओं पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल सीएए पर किसी भी तरह की रोक लगाने से इनकार कर दिया है. इसके साथ ही केंद्र सरकार को 8 अप्रैल को जवाब देने को कहा है. बता दें कि सीएए को लेकर सुनवाई के दौरान सीजेआई ने केंद्र सरकार से पूछा कि नोटिफिकेशन पर रोक लगाने की मांग संबंधी याचिका पर जवाब देने के लिए कितना समय चाहिए. इस पर केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल ने 4 हफ्ते का समय मांगा. इस पर कोर्ट ने केंद्र को तीन हफ्ते का समय दिया. इस मामले की अगली सुनवाई 9 अप्रैल को होगी.
याचिकाकर्ता में एक की ओर से पेश हुए वकील कपिल सिब्बल ने केंद्र सरकार तीन हफ्ते का समय देने का विरोध भी किया. उन्होंने कहा कि सीएए को चार साल बीत चुके हैं. ऐसे में अगर इन लोगों को एक बार नागरिकता मिल गई तो उन्हें वापस करना मुश्किल हो जाएगा. उन्होंने कहा कि इन लोगों को नागरिकता मिलते ही सुप्रीम कोर्ट में डाली गई सभी याचिकाएं निष्प्रभावी हो जाएंगी. कपिल सिब्बल ने कहा कि सीएए को लेकर जारी नोटिफिकेशन को तुरंत रोकने की जरूर है. उन्होंने कहा कि हम समय का विरोध नहीं कर रहे, चार साल बाद इसे लागू करने की क्या अर्जेंसी है. सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट से इसके नोटिफिकेशन पर तत्काल रोक लगाए जाने की मांग की.
मामला बड़ी बेंच को भेजने की जरूरत: वकील
याचिकाकर्ताओं की ओर से कोर्ट में पेश हुए एक अन्य वकील इंदिरा जय सिंह ने भी कोर्ट से सीएए पर तुरंत रोक लगाने की मांग की. उन्होंने कहा कि इस मामले को बड़ी बेंच को भेजने की जरूरत है. दोनों ओर से दलील सुनने के बाद सीजेआई ने कहा कि याचिकाओं के जवाब के लिए केंद्र सरकार को कुछ और समय दिया जा सकता है, क्योंकि वह कुछ और समय मांगने के हकदार हैं.
असम मामल की सुनवाई अलग से होगी
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस ने कहा कि असम मामले की सुनवाई अलग से की जाएगी. याचिकाकर्ताओं में से एक वकील ने कहा कि 6बी(4) कहता है कि सीएए, असम के कुछ आदिवासी क्षेत्र पर लागू नहीं होगा. यही नहीं मेघालय, त्रिपुरा, मिजोरम पूरी तरह से इससे बाहर हैं. याचिका की सुनवाई के दौरान कपिल सिब्बल ने कहा कि संवैधानिकता के मुद्दे गंभीर हैं. वहीं प्रवासियों की ओर से पेश वकील रंजीत कुमार ने पूछा कि क्या उनको वोट देने का आधिकार मिलेगा. सीजेआई ने केंद्र से 8 अप्रैल को जवाब देने को कहा है. मामले की अगली सुनवाई 9 अप्रैल को होगी