नई दिल्ली: लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) में अंदरूनी कलह से जूझ रहे चिराग पासवान ने कहा है चाचा पशुपति कुमार पारस ने पापा (स्वर्गीय रामविलास पासवान) का भरोसा तोड़ा है. NDTV से खास बातचीत में चिराग ने कहा, ‘वह (चाचा पशुपति) मेरे पापा के करीब थे इसलिए यह उनके साथ विश्वासघात है. ‘अपनों’ से धोखा खाने के बाद युवा चिराग ने नए रिश्तों की ओर बढ़ने का संकेत दिया है. बातचीत के दौरान उन्होंने कांग्रेस नेता शत्रुघ्न सिन्हा और आरजेडी नेता तेजस्वी यादव की प्रशंसा की. उन्होंने शत्रुघ्न सिन्हा को चाचा और तेजस्वी को छोटा भाई बताया.
पापा रामविलास की ओर से स्थापित की गई पार्टी एलजेपी में छिड़ी अंदरूनी जंग को लेकर चिराग ने कहा कि चुनाव चिह्न की कोई लड़ाई नहीं है. हम पूरी तरह से मज़बूत हैं. राष्ट्रीय कार्यकारिणी के 95% लोग हमारे साथ हैं. उन्होंने कहा, ‘किसी भी राजनैतिक दल का ढांचा उसका संगठन ही होता है. मुझे खुशी है कि 5 लोगों को छोड़ दें तो सभी साथ हैं. सब पापा की बनाई पार्टी के साथ है. एक अन्य सवाल पर उन्होंने कहा, ‘मेरे लिए संभव नहीं था कि 25 सीटों पर चुनाव लड़ूं. ऐसा करने से मेरी पार्टी समाप्त हो जाती.दूसरा नीतीश जी ने बिहार फ़र्स्ट और बिहारी फ़र्स्ट को नकार दिया. चिराग ने कहा कि आखिरी वक्त में पापा ने कहा था अकेले चुनाव लड़ना, नीतीशजी के साथ मत जाना. ये उनकी अंतिम इच्छा थी.’चिराग ने कहा, ‘मैं अब उस हैसियत में नहीं कि दूसरों पर उंगली उठाऊं. मेरे अपनों ने ही मेरा साथ छोड़ दिया मेरे चाचा, मेरे भाई ने मेरा साथ छोड़ दिया. उम्मीद है कि राम (पीएम) खामोश नहीं रहेंगे.’उन्होंने कहा कि मेरी उम्मीद अब मुझसे है और बिहार के लोगों से है. 8 अक्टूबर से पैदल यात्रा भी शुरू करूंगा. जनता का आशीर्वाद लूंगा
चिराग पासवान से बातचीत की खास बातें
-हमारा चुनाव चिन्ह 100 फीसदी बचेगा. हमारी कार्यकारिणी में 95 फीसदी लोग ऐसे हैं जो मेरे साथ यानी रामविलास पासवान जी के साथ खड़े हुए हैं. संगठन की बात करें तो गर्व से कह सकता हूं कि पार्टी के पुराने लोग हैं जिन्होंने पापा के साथ पार्टी को बनाया था, वे हमारे साथ हैं.
-जब विधानसभा चुनाव में उम्मीदवार उतारे तो अपना पक्ष बीजेपी के सामने रख दिया था. इस विधानसभा चुनाव में कम सीटों पर चुनाव लड़ता तो पार्टी खत्म हो जाती. इस बारे में बीजेपी को जानकारी दे दी थी.
-मेरा पिता की अंतिम इच्छा यह थी जो उन्होंने अपने आखिरी दिनों में बोला था कि कुछ भी हो जाए नीतीश कुमार के साथ नहीं जाना.
-स्पीकर साहब ने जिस तरह से नेता सदन चुन लिया मेरे चाचाजी को वो लड़ाई भी लड़नी है. अगले हफ़्ते हम न्यायालय जाने की कोशिश करेंगे.